जन्मकुंडली में बुरे योग बनने से, जिंदगी में हो सकती है ढेरों मुश्किलें

Manisha Kumari Pandey
Updated on -
rajyog 2024

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली का बहुत ही महत्व होता है । जन्म कुंडली में व्यक्ति से जुड़ी सारी जानकारी शामिल होती है।  साथ ही साथ जन्मकुंडली से एक व्यक्ति के जीवन के में शुभ -अशुभ सभी स्थिति का पता लगाया जा सकता है । यदि कुंडली में अशुभ योग बनता है,  तो जीवन में ढेरों परेशानियों का सामना एक व्यक्ति को करना पड़ता है , बुरे योग कुंडली में बनने के कारण जातक की ज़िंदगी भी बर्बाद हो सकती है ।

कुंडली एक व्यक्ति के  भाग्य को व्यक्त करती है।  कुंडली में ग्रहों की स्थिति के कारण कई प्रकार के योग बनते हैं ,जिसमे कुछ बुरे तो कुछ अच्छे योग शामिल होते हैं । यदि  योग सही होते हैं , तो जीवन में खुशियों की बौछार होती है । तो वही अशुभ होने से कई समस्याएं भी खड़ी हो जाती हैं।

एक व्यक्ति कि कुंडली में चांडाल योग, ग्रहण योग , षडयंत्र योग , भावना संयोग , अल्पायु योग, विष योग इत्यादि प्रकार के योग बन सकते हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में भाव में चंद्र के साथ राहु या केतु बैठा होता है,  तो उसे ग्रहण योग कहा जाता है । जिसमें इस स्थिति में यदि सूर्य भी जुड़ जाए तो मनुष्य की मान जाता है की , मानसिक स्थिति बहुत बुरी हो जाती है ,जिसमें नौकरी में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।  इससे बचने के लिए ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और चंद्र की आराधना करने की सलाह दी जाती है।

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बृहस्पति के साथ कुंडली यदि राहु या केतु बैठे हो तो इसे चांडाल योग बनता है , जिससे जातक को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है । शिक्षा और धन पर दुष्प्रभाव पड़ता है । इससे बचने के लिए ज्योतिष गुरुवार को पीली दाल को दान करने का उपाय बताते हैं।

षड्यन्त्र योग्य से बचने के लिए शिव परिवार का पूजन करना चाहिए,  तो वही भाव नाश से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। महामृत्युंजय का जाप करने से अल्प आयु  योग्य दूर हो जाता है। वटवृक्ष की और पीपल  की पूजा करने और  मंगल दोष निवारण पूजा से मंगल दोष को खत्म किया जा सकता है।

शनि और चंद्रमा की युति से कुंडली में विष योग का निर्माण होता है । जो बहुत ही ज्यादा कष्टकारी माना जाता है।  इससे बचने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे नारियल फोड़ने की सलाह और हनुमान जी की पूजा करने की सलाह ज्योतिष शास्त्र में दी गई है ।


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