सनातन धर्म में अगस्त का महीना बहुत ही खास माना जाता है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इस महीने को भाद्रपद के नाम से जाना जाता है। इस दौरान रक्षाबंधन, सावन पूर्णिमा, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, राधा अष्टमी सहित अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इसके अलावा, इसी महीने में दूर्वा अष्टमी का व्रत भी रखा जाता है। यह पूरा महीना भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होता है, जब नटखट लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना की जाती है।
भाद्रपद महीने में दूर्वा अष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है, जब जगत के पालनहार श्री हरि और गणपति बप्पा की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन भक्ति, सात्विक भोजन और कई सारे नियम का पालन करते हैं।
शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को देर रात 10:46 पर होगी, जिसका समापन अगले दिन यानी 31 अगस्त को देर रात 12:57 पर होगा। सूर्योदय तिथि की गणना के अनुसार 31 अगस्त को दूर्वा अष्टमी मनाई जाएगी।
शुभ योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कई सारे शुभ योग का निर्माण हो रहा है। दिन में अनुराधा नक्षत्र का सहयोग है, जो कि शाम 5:27 तक रहेगा। इसके बाद के स्तर नक्षत्र का भी सहयोग बना रहेगा। इस मौके पर भद्र वास योग का निर्माण हो रहा है, जिसका समय 11:54 तक है। इस दौरान पृथ्वी वासियों को सर्वाधिक लाभ मिलेगा।
करें ये काम
- दूर्वा अष्टमी के दिन दूर्वा घास की पूजा करें, जो कि भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और अन्य देवी-देवताओं के पूजन में अवश्य प्रयोग की जाती है।
- इस दिन जरूरतमंदों और गरीबों को जितना हो सके, उतनी चीजें दान करें।
- इसके अलावा, पूरे दिन साधना और भक्ति में लीन रहें। किसी भी तरह के झगड़े और विवाद से दूर रहें।
महत्व
दूर्वा अष्टमी के महत्व की बात करें, तो यह दिन बेहद खास है, जब भगवान गणेश, माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जाती है। यह दिन विशेष रूप से दूर्वा घास से जुड़ा हुआ है, जो कि शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





