Amla Navami: हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का दिन विशेष महत्व रखता है और इसे अक्षय तृतीया के समान शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सतयुग की शुरुआत हुई थी। अक्षय नवमी को आंवला नवमी में भी कहा जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना एक पुरानी परंपरा है।
भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं। साथ ही इस दिन अक्षय नवमी की व्रत कथा का पाठ करना बहुत आवश्यक माना जाता है क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी होती है। चलिए आगे जानते हैं अक्षय नवमी की व्रत कथा।
10 नवंबर को रखा जा रहा है आंवला नवमी का व्रत
आंवला नवमी के दिन बिना मुहूर्त देख नए कार्यों की शुरुआत की जा सकती है, क्योंकि इस दिन का विशेष महत्व है। माना जाता है कि अक्षय नवमी के दिन श्री हरि की पूजा से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। आ जानी 10 नवंबर को अक्षय नवमी का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन व्रत रखकर पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करना जरूरी होता है।
आंवला नवमी की पौराणिक व्रत कथा
शास्त्रों में वर्णित एक पौराणिक कथा के अनुसार, बहुत समय पहले एक गांव में एक सेठ रहता था, जो हर साल आंवला नवमी के दिन ब्राह्मणों को आंवले के पेड़ के नीचे भोजन कराता और उन्हें सोना चांदी जैसे भेंट देता था। यह सब सेठ के बेटे को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था और वह अक्सर अपने पिता से इस बारे में झगड़ा करते थे। आखिर में तंग आकर सेठ ने अपने घर को छोड़ दिया और दूसरे गांव में जाकर बस गया।
वहां उसने अपनी छोटी सी दुकान खोली और उसके आगे आंवले का एक पेड़ लगाया। भगवान की कृपा से उसकी दुकान खूब चलने लगी और हर साल वह आंवला नवमी पर ब्राह्मणों को भोजन कराता और दान देता था। वहीं, सेठ के बेटों का व्यापार ठप हो गया उन्होंने समझा कि उनके पिता के आशीर्वाद और भाग्य से ही उनका व्यापार चल रहा था। वह अपने पिता से माफी मांगने पहुंचे और पिता के कहने पर आंवले के पेड़ की पूजा शुरू की और दान देने लगे इसके प्रभाव से उनके घर में फिर से खुशहाली लौट आई और वे सभी मिलकर सुख समृद्धि से रहने लगे।
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