Sheetala Ashtami 2023: हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष पर पड़ने वाली अष्टमी तिथि को “शीतला अष्टमी” कहा जाता है। इस दिन विधि-विधान के साथ माता शीतला की पूजा की जाती है। शीतला माता के स्वरूप को बहुत ही शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। उनके हाथों में कलश, सूप, नीम की पत्तियां और झाड़ू होता है। इस दिन पूजा के दौरान देवी को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। इसलिए इस अष्टमी को बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
लगाएं बासी भोजन का भोग
मान्यताएं हैं की विधिपूर्वक माता शीतला की पूजा करने से रोग-दोष से छुटकारा मिलता है। साथ ही लंबी आयु का वरदान मिलता है। सप्तमी की शाम को ही श्रद्धालु भोग बना लेते हैं। भोग की थाली में चावल-गड़ और मीठी रोटी का होना बहुत अनिवार्य हाट है। हर साल होली के आठवें दिन व्रत रखा जाता है। इस साल शीतला अष्टमी 16 मार्च को पड़ रही है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 मार्च सुबह 12:09 बजे हो जाएगी। 16 मार्च रात 10:04 बजे इसका समापन होगा। सुबह 6:20 बजे से लेकर 6:35 बजे के बीच पूजा करना बहुत ही शुभ होगा।
ऐसे करें पूजा
- भोग बनाने के स्थान यानि रसोई को अच्छे से साफ कर लें। फिर शीतला माता का भोग शुद्धता के साथ बनाएं। यह कार्य सप्तमी के दिन ही समाप्त कर लें।
- अष्टमी तिथि के दिन सुबह स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहन लें।
- फिर पूजा शुरू करें। माँ शीतला का संकल्प लें।
- फिर हाथों में फूल अक्षत और एक सिक्का डालकर “श्मम गेही शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकयुरारोग्यैश्वर्याभीवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्येश” मंत्र का जाप करें।
- उनके बाद सभी चीजों को देवी के चरणों में अर्पित कर दें। उनके बाद सिंदूर, सोलह शृंगार, माला इत्यादि चढ़ाएं।
- उसके बाद शहर्टलसस स्त्रोत का पाठ करें।
- पूजा के बाद आरती करके, क्षमा याचना कर लें। इस दिन जगराता करना शुभ माना जा है।
(Disclaimer: इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। MP Breaking News इन बातों की पुष्टि नहीं करता।)