भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज गणेश चतुर्थी है और घर घर में बप्पा विराजमान हो रहे हैं। ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश जी का उत्सव गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चौदस मनाया जाता है। आज हम बात करेंगे इनके स्वभाव की। यूं तो उनके पिता को भोलेनाथ कहा जाता है। लेकिन शिवशंकर को भी जब क्रोध आता है तो उनका तीसरा नेत्र खुल जाता है और उनके तांडव से तो ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु भी डरते हैं। इसी तरह देवी की आराधना में भी अनेक नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है। लेकिन श्रीगणेश इस मामले में सबसे उदार और सरल हैं। उनकी किसी भी तरह से मूर्ति बनाई जा सकती है। चित्रकार और कलाकार अपनी कला में गणपति जी पर कई तरह के प्रयोग करते हैं और उन्हें इस बात का डर नहीं होता कि इससे उन्हें गणेश का कोपभाजन बनना होगा। हालांकि इनकी पूजन का भी विधि विधान है और नियम है, लेकिन फिर भी इनसे डरने की बजाय प्रेम और सखाभाव अधिक महसूस होता है।
सनातन परंपरा में गणपति जी की मूर्ति में अगर उनकी सूंड दायी तरफ है तो उन्हें सिद्धि विनायक कहा जाता है। इन्हें अधिकांशत: मंदिरों में स्थापित किया जाता है और। वहीं बायी तरफ सूंड वाले गणपति जी की मूर्ति को घरों में विराजमान किया जाता है। मूर्तिकारों और कलाकारों के लिए गणेश जी सदा ही प्रिय विषय रहे हैं। उनकी तरह तरह की मूर्तियां हमेशा ही बाजार में मिल जाती है।
घर के दरवाजे पर और भीतर भी गणेश जी का चित्र व मूर्ति रखना शुभ माना जाता है। ये भी एक कारण है कि शो पीस के रूप में सिद्धि विनायक की तरह तरह की मूर्तियां बाजार में उपलब्ध हैं। पीतल, तांबा, संगमरमर, कांच से लेकर चांदी सोने तक में गणेश प्रतिमा मिल जाती है। ये सजावट से लेकर पूजन तक के लिए रखी जाती है।
चित्रकारों ने भी अपनी कूची से गणेशजी को कई तरह के रूप दिए हैं। खास बात ये कि इनकी पेंटिंग बनाने वाले जरुरी नहीं हिंदू धर्म के अनुयायी ही हो। कला हर धर्म से ऊपर होती है और गणपति जी को आकार देने वालों में ऐसे कई कलाकार हैं जो किसी और धर्म से संबंध रखते हैं। हमेशा ही इस सीधे सरल देवता ने कलाकारों को मोहा है।
गणेश जी की छवि बालसुलभ है। इनके चेहरे पर बच्चों सी सरलता है इसीलिए बच्चों को ये बेहद प्रिय भी हैं। यही कारण है कि कई तरह के खिलौनों में गणपति की छवि रहती है। बच्चों के लिए तमाम ऐसे खिलौने बनाए जाते हैं जो विनायक का रुप होते हैं। इसी तरह अलग अलग एसेसरीज में भी ये काफी डिमांड में हैं। फिर चाहे की-चेन हो या कार की सजावट..इनका चेहरा हर कहीं नजर आता है।
गणपति को मंगलमूर्ति कहते हैं। इनके हर अंग अंग में आशीर्वाद और वरदान है। यही वजह है कि ये स्त्रियों को गहनों में भी बेहद प्रिय हैं। बुद्धि, विवेक और समद्धि दाता श्रीगणेश को कई तरह के गहनों के आकार में भी ढाला जाता है। ये सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं है, पुरुष भी लॉकेट, अंगूठी या ब्रेसलेट में गणपति के आकार को श्रद्धापूर्वक धारण करते हैं।
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श्रीगणेश हमेशा ट्रेंड में रहते हैं। बात चाहे श्रद्धा की हो या फैशन की। ये हर स्थान पर उपस्थिति है। ट्रेडिशनल फैशन हो या मॉडर्न, इन्हें किसी भी रूप में संजोया जा सकता है। यही कारण है कि फेब्रिक पर भी इन्हें अक्सर उकेरा जाता है। विभिन्न परिधानों में हमने श्रीगणेश को देखा है और ये सदैव ही हर रूप में अच्छे लगते हैं। फैशन इंडस्ट्री में श्रीगणेश को लेकर कई प्रयोग किए जाते हैं और ये देश ही नहीं विदेशों में भी परिधानों या ज्वेलरी में बहुत लोकप्रिय हैं।
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श्रुति कुशवाहा
2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।