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Thu, Dec 18, 2025

बेहद अनोखा है भगवान गणेश का उच्ची पिल्लयार मंदिर, भक्तों की सारी मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण!

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
भारत के तामिलनाडू के त्रिची स्थित उच्ची पिल्लयार कोइल मंदिर, 83 मीटर ऊंची चट्टान पर बना अनोखा धाम है। यहां तीन मंदिर मणिक्का विनयगर, थायुमानस्वामी और उच्ची पिल्लयार हैं।
बेहद अनोखा है भगवान गणेश का उच्ची पिल्लयार मंदिर, भक्तों की सारी मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण!

भारत में गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। देश के पश्चिमी राज्यों में यह 10 दिनों तक चलता है, वहीं पूर्वी राज्यों की बात करें तो दो से तीन दिन भगवान की पूजा अर्चना की जाती है और अंत में विसर्जन के साथ विदाई दी जाती है। इस पूरे 10 दिन शहरों में भक्ति का माहौल रहता है। खासकर महाराष्ट्र और गुजरात समेत मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में गणपति बप्पा हर घर में विराजते हैं। वहीं गली-मोहल्ले में बड़े-बड़े पंडाल बनाए जाते हैं और भगवान की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है और उनका सुबह-शाम विधिपूर्वक पूजा अर्चना भी होता है।

देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां भगवान गणेश की पूजा अर्चना होती है। उनके दर पर जाने वाला कोई भी व्यक्ति कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता है।

शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 27 अगस्त से प्रारंभ हुआ है, जिसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन यानी 6 सितंबर 2025 को होगा। सनातन धर्म में भगवान गणेश का अपना अलग ही स्थान है। भगवान गणेश विघ्नहर्ता माने जाते हैं क्योंकि वे अपने भक्तों पर आने वाले सभी संकट को हर लेते हैं। इसके अलावा, वे बुद्धि, विवेक और समृद्धि के देवता कहे जाते हैं। गणपति जी को गजानन, गणपति, विनायक, विघ्नेश्वर, वक्रतुंड, लंबोदर, एकदंत और सिद्धिदाता के नाम से जाना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। वे सफलता, समृद्धि और सिद्धि के दाता माने जाते हैं।

उच्ची पिल्लयार कोइल मंदिर

तमिलनाडु की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर में एक ऐसा मंदिर भी शामिल है, जिसे देखकर लोग हैरान रह जाते हैं। तिरुचिरापल्ली यानी त्रिची शहर में स्थित उच्ची पिल्लयार कोइल मंदिर, जिसे रॉकफोर्ट मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां आपको इतिहास, वास्तुकला और प्राकृतिक सुंदरता का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। करीब 83 मीटर यानी लगभग 273 फीट ऊंची एक प्राचीन चट्टान के शिखर पर यह मंदिर स्थापित है। स्थानीय भाषा में उच्ची का अर्थ ऊंचाई होता है और पिल्लयार भगवान गणेश का नाम है। इस तरह मंदिर का नामकरण किया गया है।

तीन मंदिर

इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां एक ही परिसर में तीन मंदिर स्थापित है। इसमें नीचे मणिक्का विनयगर मंदिर, जो कि भगवान गणेश को समर्पित है। श्रद्धालु अपनी आस्था की शुरुआत यहीं से करते हैं। बीच में थायुमानस्वामी मंदिर स्थित है, भगवान शिव का यह मंदिर परिसर की शान है। यहां 100 स्तंभों वाला मंडप है, जो भक्तों का आकर्षित करता है। वहीं, सबसे ऊपर उच्ची पिल्लयार कोइल है, जहां बप्पा की ही पूजा की जाती है। भक्तों का विश्वास है कि यहां पहुंचकर मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं।

इतिहास

इतिहासकारों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पल्लव साम्राज्य के समय हुआ था। हालांकि, इसका पूर्ण विकास और विस्तार मदुरै के नायक राजाओं ने कराया। इसीलिए मंदिर की वास्तुकला में दोनों शैलियों का नजारा नजर आता है। उच्ची पिल्लयार कोइल तक पहुंचना आसान नहीं है। भक्तों को लगभग 400 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो सीधे चट्टान को तराशकर बनाई गई हैं। यहां से पूरा त्रिची शहर, कावेरी और कोल्लिडम नदियों का संगम, विश्व प्रसिद्ध श्रीरंगम का रंगनाथस्वामी मंदिर और तिरुवनैकवल मंदिर साफ नजर आते हैं।

यहां का हाथी मंदिर भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यह हाथी आने वाले श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देता है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सबके लिए यह आकर्षण का केंद्र है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)