भारत में गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। देश के पश्चिमी राज्यों में यह 10 दिनों तक चलता है, वहीं पूर्वी राज्यों की बात करें तो दो से तीन दिन भगवान की पूजा अर्चना की जाती है और अंत में विसर्जन के साथ विदाई दी जाती है। इस पूरे 10 दिन शहरों में भक्ति का माहौल रहता है। खासकर महाराष्ट्र और गुजरात समेत मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में गणपति बप्पा हर घर में विराजते हैं। वहीं गली-मोहल्ले में बड़े-बड़े पंडाल बनाए जाते हैं और भगवान की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है और उनका सुबह-शाम विधिपूर्वक पूजा अर्चना भी होता है।
देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां भगवान गणेश की पूजा अर्चना होती है। उनके दर पर जाने वाला कोई भी व्यक्ति कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता है।
विघ्नहर्ता
सनातन धर्म में भगवान गणेश का अपना अलग ही स्थान है। भगवान गणेश विघ्नहर्ता माने जाते हैं क्योंकि वे अपने भक्तों पर आने वाले सभी संकट को हर लेते हैं। इसके अलावा, वे बुद्धि, विवेक और समृद्धि के देवता कहे जाते हैं। गणपति जी को गजानन, गणपति, विनायक, विघ्नेश्वर, वक्रतुंड, लंबोदर, एकदंत और सिद्धिदाता के नाम से जाना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। वे सफलता, समृद्धि और सिद्धि के दाता माने जाते हैं। छात्रों को खासकर भगवान गणेश की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस साल भी वे बहुत ही जल्द चूहे पर सवार होकर आने वाले हैं। ऐसे में आज हम आपको भारत उस इकलौते मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां उनकी प्रतिमा पर सूंड नहीं है
गढ़ गणेश मंदिर
जी हां, दरअसल इस मंदिर को गढ़ गणेश के नाम से जाना जाता है, जो कि जयपुर में स्थित है। इस मंदिर की विशेषता और अनोखी परंपरा बेहद खास और अलग है। यहां भगवान गणेश की मूर्ति को बाल रूप में स्थापित किया गया है, वह भी बिना सूंड वाले गणेश। इनकी इस प्रतिमा को पुरुष कीर्ति स्वरूप कहा जाता है, जहां खासकर गणेश उत्सव के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
मंदिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह लगभग 300 साल से भी अधिक पुराना है। इतिहासकारों की माने तो इसका निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18वीं शताब्दी में कराया था। दरअसल, उन्होंने जयपुर बसाने से पहले अश्वमेध यज्ञ किया था, तभी इस मंदिर की नींव रखी थी। बता दें कि इस मूर्ति को सिटी पैलेस के चंद्र महल से दूरबीन की मदद से देखा जा सकता है। यहां की पूजा पद्धति भी काफी अलग है। मंदिर में दो विशाल मूषक स्थापित हैं। मान्यताओं के अनुसार यह मूषक भक्तों की बात सीधे बप्पा तक पहुंचाते हैं, जिसके बाद भगवान गणेश उनके सभी कष्ट हर लेते हैं।
चिट्ठियों से पूरी होती हैं मनोकामनाएं!
बता दें कि मंदिर में भक्त अपनी मुराद भी अनोखे तरीके से भगवान तक पहुंचाते हैं। दरअसल, इस मंदिर के अनुसार श्रद्धालु अपनी मन्नतें चिट्ठी या निमंत्रण पत्र पर लिखकर भेजते हैं। इस मंदिर के पते पर रोजाना सैकड़ों चिट्ठियां आती हैं, जिन्हें पढ़कर भगवान के चरणों में रखा जाता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। लोगों का यह भी मानना है कि यहां आने वाले भक्त या चिट्ठियां भेजने वाले लोग कभी भी दुखी नहीं रहते, क्योंकि गणेश जी उनकी हर पुकार सुनते हैं।
मिलेगी शांति
मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यहां जाने के बाद लोगों को मानसिक शांति और सुकून मिलता है। शहर की भीड़-भाड़ से दूर, यहां लोग अपने परिवार के साथ आते हैं और इस अनोखे गणपति बप्पा के दर्शन करते हैं। यदि आपको कभी मौका मिले या फिर आप गणेश उत्सव के दौरान किसी ऐसे बप्पा के मंदिर की तलाश कर रहे हैं, तो यहां जरूर जाना चाहिए। यहां का नजारा आपको काफी पसंद आएगा।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। )





