Gita Updesh : सनातन धर्म श्रीमद्भगवद्गीता महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है जोकि भगवान श्री कृष्णा और अर्जुन के बीच हुए संवाद का विस्तृत वर्णन है। यह कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग का संपूर्ण विवरण है, जिन्हें अपनाने वाला हर व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति करता है। महाभारत कथा के बारे में हम सभी बचपन से ही सुनते आ रहे हैं। स्कूल में बच्चों को इसके पाठक्रम पढ़ाई जाती है। बता दें कि इस ग्रंथ में 800 अध्याय और 700 श्लोक हैं। दरअसल, गीता उपदेश भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन के मन में चल रही दुविधाओं को खत्म करने के लिए दिया गया था, क्योंकि अर्जुन अपनों के खिलाफ शस्त्र उठाने के लिए काफी सोच-विचार कर रहे थे। इसलिए माधव ने विश्व रूप को प्रकट कर धनुर्धारी अर्जुन को जीवन का रहस्य बताया। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको गीता उपदेश में बताए गए बहुत सी बातें बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप भी अच्छा इंसान बन सकते हैं।
भगवान श्री कृष्ण के अनुसार, इंसान को जीवन में सबसे अच्छा पानी के लिए धैर्य रखना पड़ता है क्योंकि कोई भी इंसान कठिनाई के बाद ही अच्छा जीवन व्यतीत कर पाता है, इसलिए उन्हें इस दौर से गुजरना पड़ता है। आपके सामने कभी भी ऐसी स्थिति आए तो आप बस ईश्वर पर भरोसा बनाकर उस कठिन परिस्थिति को हंसते हुए पार करना चाहिए।
गीता उपदेश के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि कोई कुछ भी कहे या आपको कितना भी गुस्सा आए, खुद को शांत रखना चाहिए क्योंकि धूप कितनी ही तेज क्यों ना हो समुद्र नहीं सुख सकती। ठीक वैसे ही शांति किसी भी इंसान के लिए बेहतर माना जाता है, क्योंकि इंसान का असली गुनहगार उसकी बातें ही होती है।
श्री कृष्ण कहते हैं की रोते वही लोग हैं, जिनकी भावनाएं सच्ची होती है। वहीं, मतलब के रिश्ते रखने वालों की आंखों में नजर होती है और ना आंसू, इसलिए कभी भी खुद को किसी के लिए ना बदले।
श्री कृष्ण के अनुसार, बुद्धिमान वह व्यक्ति नहीं होता जो केवल बोलना जानता है, बल्कि असली बुद्धिमान वह होता है, जिसे यह पता होता है कि किस परिस्थिति में उन्हें चुप रहना है और किस परिस्थिति में उन्हें बोलना चाहिए। यही बुद्धिमानी की असली पहचान होती है।
भगवान श्री कृष्ण का कहना था कि इंसान को हमेशा सरल और सीधा होना चाहिए। उन्हें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए, सच्चाई का रास्ता इंसान को सफलता दिलाता है। खासकर इंसान को कभी भी खुद से झूठ नहीं बोलना चाहिए।
भगवत गीता के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अपने जन्म से ही नहीं महान होता, बल्कि वह अपने कर्मों के आधार पर अपनी महानता तय करता है। जिसने अपने मन को अपने वश में कर लिया। वह दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्ति माना जाता है।
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