इस साल हनुमान जन्मोत्सव कब है? जानिए पवित्र मुहूर्त और जरूरी नियम

हनुमान जन्मोत्सव इस साल एक बहुत ही खास पर्व है, जो भक्तों के लिए अपार श्रद्धा और उल्लास का प्रतीक है। इस बार हनुमान जी के जन्मोत्सव की सही तारीख, मुहूर्त और पूजा के नियम जानना बहुत जरूरी है ताकि आप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस पावन दिन की तैयारी कर सकें।

Bhawna Choubey
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हनुमान जन्मोत्सव, जिसे हनुमान जयंती के नाम से भी जाना जाता है, यह हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन को भगवान हनुमान के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान हनुमान को भगवान शिव का 11वाँ अवतार माना जाता है, जिन्होंने त्रेता युग में चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन माता अंजनि और केसरी के यहाँ जन्म लिया।

भगवान हनुमान को भगवान राम का परम भक्त माना जाता है, उन्हें वानर देवता, बजरंग बली, पवनपुत्र जैसे नामों से जाना जाता है। देशभर में हनुमान जयंती का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसी के साथ चलिए जान लेते हैं कि साल 2025 में हनुमान जन्मोत्सव कब मनाया जाएगा, साथ ही साथ पूजा के लिए शुभ मुहूर्त और विधि भी जान लेते हैं।

साल 2025 में कब है हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2025)

हनुमान जन्मोत्सव हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल हनुमान जयंती 12 अप्रैल 2025 यानी शनिवार के दिन मनाई जाएगी। शनिवार के दिन पड़ने के कारण यह पर्व और भी ज़्यादा ख़ास हो जाएगा। शनिवार और मंगलवार दोनों ही दिन भगवान हनुमान को समर्पित होते हैं। इन दोनो दिनों में भगवान हनुमान की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि इन दिनों हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष मुहूर्त होता है।

हनुमान जयंती पूजा विधि

हनुमान जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद हनुमान जी की मूर्ति या फिर चित्र को साफ़ सुथरी स्थान पर स्थापित करना चाहिए। भगवान हनुमान को सिंदूर, चमेली का तेल, फूल और प्रसाद अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना इसी दिन बहुत शुभ माना गया है। प्रसाद में हनुमानजी को बेसन के लड्डू या फिर बूँदी का भोग भी लगा सकते हैं।

हनुमान जी के जन्म से जुड़ी कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता अंजुना जो पहले एक अप्सरा थी, उनको श्राप के कारण धरती पर मानव रूप में जन्म लेना पड़ा। इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए उन्हें एक संतान को जन्म देना आवश्यक था। अंजना ने भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे उनके पुत्र के रूप में अवतार लेंगे। इस तरह हनुमानजी का जन्म हुआ और वे माता अंजना और केसरी की पुत्र बने।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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