Thu, Dec 25, 2025

सिर्फ 5 मिनट का काम और हर मुश्किल होगी आसान, हनुमान जयंती पर करें इस स्तोत्र का पाठ और देखें चमत्कार

Written by:Bhawna Choubey
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Hanuman Jayanti: हनुमान जयंती पर अगर आप बजरंगबली की अपार कृपा पाना चाहते हैं, तो इस शक्तिशाली स्तोत्र का पाठ जरूर करें! यह दिव्य स्तोत्र न केवल आपके सभी संकटों को हरने में मदद करेगा, बल्कि आपको सुख, समृद्धि और आत्मबल भी प्रदान करेगा।
सिर्फ 5 मिनट का काम और हर मुश्किल होगी आसान, हनुमान जयंती पर करें इस स्तोत्र का पाठ और देखें चमत्कार

हिन्दू धर्म में हनुमान जयंती का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन हनुमान जयंती का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सभी हनुमान मंदिरों को जगमगाती लाइटों, रंग बिरंगे फूलों, और दीपक से सजाया जाता है। इसी दिन भक्त हनुमान जी की भक्ति में डूबे रहते हैं, तरह-तरह की धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, साथ ही साथ भंडारा भी होता है।

साल 2025 में हनुमान जयंती 12 अप्रैल को है। राम नवमी के ठीक छठवें दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस दिन सभी मंदिरों में विधि-विधान से भगवान हनुमान की पूजा की जाती है। पूजा के साथ-साथ इस दिन हनुमान चालीसा, हनुमान स्तोत्र, और सुंदर कांड का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है, इन चीज़ों को करने से हनुमानजी की कृपा बनी रहती है, जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं, मंगल ग्रह का शुभ प्रभाव बढ़ता है।

हनुमान जयंती के दिन कैसे करें पूजा (Hanuman Jayanti)

  • हनुमान जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। साफ़ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • हनुमान जी की मूर्ति या फिर चित्र को साफ़ सुथरी जगह पर स्थापित करें।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं, फिर फूल और चोला चढ़ाएं।
  • हनुमान चालीसा या हनुमान स्तोत्र का पाठ करें। प्रसाद में हनुमान जी को बूँदी या फिर लड्डू चढ़ाएं।

॥श्री हनुमान स्तोत्र॥

”वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम् ।
रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम् ॥

सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं ।
वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न ॥

भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम् ।
सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम् ॥

सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न ।
इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥

सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ ।
कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपीशराजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम् ॥

सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम् ।
प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः ॥

प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत् ।
विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम् ॥

नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम् ।
सुपुच्छगुच्छतुच्छलंकदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम् ॥

रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम् ।
विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम् सुसूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम् ॥

नभस्वदात्मजेन भास्वता त्वया कृता महासहा यता यया द्वयोर्हितं ह्यभूत्स्वकृत्यतः ।
सुकण्ठ आप तारकां रघूत्तमो विदेहजां निपात्य वालिनं प्रभुस्ततो दशाननं खलम् ॥

इमं स्तवं कुजेऽह्नि यः पठेत्सुचेतसा नरः कपीशनाथसेवको भुनक्तिसर्वसम्पदः ।
प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह ॥

नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे । लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥
ॐ इति श्री हनुमत्ताण्डव स्तोत्रम्” ॥

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।