Hasanamba Temple: सनातन धर्म में मंदिरों का विशेष महत्व होता है। जहां श्रद्धालु अपनी आस्था के साथ-साथ पूजा अर्चना करते हैं। भारत देश में एक नहीं अनेक मंदिर मौजूद है जिनके पीछे कुछ ना कुछ रोचक कहानियां छिपी हुई है।
इन मंदिरों में कुछ ना कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जिनकी वजह से यह मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है। आज हम ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो 365 दिन में से सिर्फ दिवाली के दिन ही खुला रहता है।
हसनंबा मंदिर (Hasanamba Temple)
जी हां, हम बात कर रहे हैं कर्नाटक के हासन जिले के हसनंबा मंदिर के बारे में। यह मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और चमत्कारों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। सबसे ज्यादा खास बात और आकर्षण का केंद्र इस मंदिर के बारे में यह है कि यह मंदिर साल में केवल एक बार दीपावली के अवसर पर ही खुलता है। भक्त जन इस दिन यहां आकर दीपक जलाते हैं, फूल और प्रसाद अर्पित करते हैं, इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
हसनंबा मंदिर का अद्भुत चमत्कार
फिर अगले साल दिवाली के अवसर पर ही मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में जब अगले साल कपाट खोले जाते हैं तो पुजारी को जलता हुआ दिया और ताजे फूल एवं प्रसाद मिलते हैं। यह चमत्कार भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव और आस्था का प्रतीक माना जाता है। अब हम इस मंदिर के बारे में और भी खासियतों के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
हसनंबा मंदिर का स्थान
हसनंबा मंदिर बेंगलुरु से लगभग 180 किमी दूर स्थित है और उसका निर्माण 12वीं शताब्दी में कराया गया था। इससे पहले सिहामासनपुरी के नाम से जाना जाता था, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता था। इस मंदिर की कई खासियत है, जो इस अन्य मंदिरों से अलग बनाती है। इसके साथ इस मंदिर से जुड़ी कई प्रसिद्ध कहानियां भी हैं, जो भक्तों को आकर्षित करती है।
हसनंबा मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
हसनंबा मंदिर का इतिहास प्राचीन कथाओं से भरा हुआ है। जिसमें एक राक्षस अंधकासुर का उल्लेख मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि अंधकासुर ने कठोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न किया और अदृश्य होने का वरदान प्राप्त किया। इस वरदान से वह अत्यंत शक्तिशाली हो गया और ऋषि मुनियों तथा मानव का जीवन दुष्कर बना दिया।
इस परेशानी को देखकर भगवान शिव ने अंधकासुर का वध करने का संकल्प लिया। हालांकि अंधकासूर की खून की हर बूंद से एक नया राक्षस उत्पन्न होता था। इस चुनौती का सामना करने के लिए भगवान शिव ने तपयोग से योगेश्वरी देवी का निर्माण किया। जिन्होंने अपनी शक्ति अंधकासूर का नाश कर दिया। यह घटना इस मंदिर की महिमा और धार्मिक महत्व को बढ़ाती है, जिससे श्रद्धालु यहां आकर अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।
हसनंबा मंदिर का खास महोत्सव
हसनंबा मंदिर दीपावली के दौरान विशेष रूप से खोला जाता है। यह मंदिर 7 दिनों के लिए भक्तों के लिए खुला रहता है। बालीपघमी उत्सव के तीन दिन बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान हजारों श्रद्धालु मां जगदंबा के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। जब मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
उस दिन गर्भग्रह में शुद्ध घी का दीपक जलाया जाता है और उसे फूलों से सजाया जाता है। साथ ही चावल से बने व्यंजन प्रसाद के रूप में अर्पित किए जाते हैं। सबसे ज्यादा खास बात यह है कि साल भर बाद भी यहां के फूल ताजगी बनाए रखते हैं और दीपक जलता रहता है जो इस मंदिर की दिव्यता को दर्शाता है।