Sun, Dec 28, 2025

Hindu Faith: इस राक्षस को दिया गया है देवी-देवताओं के समान दर्जा, भगवान शिव से माना जाता है इसका संबंध

Written by:Sanjucta Pandit
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दरअसल, आज हम आपको कीर्तिमुख राक्षस के बारे में बताएंगे, जिसका संबंध भगवान शिव से माना गया है। मान्यता है कि भगवान शिव ने राहु का वध करने के लिए उत्पन्न किया था।
Hindu Faith: इस राक्षस को दिया गया है देवी-देवताओं के समान दर्जा, भगवान शिव से माना जाता है इसका संबंध

Hindu Faith : राक्षस के मुखौटे को घर के बाहर लगाने की परंपरा भारतीय संस्कृति में कई जगहों पर देखने को मिलती है। माना जाता है कि राक्षस का मुखौटा घर के बाहर लगाने से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माएं घर में प्रवेश नहीं कर पातीं। कई लोग मानते हैं कि यह मुखौटा बुरी नजर से भी बचाव करता है और घर के सदस्यों को सुरक्षित रखता है। हिंदू धर्म में राक्षसों को नकारात्मक दृष्टि से देखा जाता है, लेकिन एक ऐसा राक्षस हैं, जिसे देवी-देवताओं के समान सम्मान दिया जाता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको उस राक्षस के बारे में विस्तार से बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से…

दरअसल, आज हम आपको कीर्तिमुख राक्षस के बारे में बताएंगे, जिसका संबंध भगवान शिव से माना गया है। मान्यता है कि भगवान शिव ने राहु का वध करने के लिए उत्पन्न किया था।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ध्यान में लीन थे। उस समय राहु अपनी शक्तियों और शक्तिशाली रूप के घमंड में चूर था, उसने महादेव के सिर पर विराजमान चंद्रमा को ग्रहण लगा दिया। राहु के इस कार्य से पूरे जग में अंधकार छा गए। यह देखकर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हुए और गुस्से में अपनी तीसरी आंख खोली। साथ ही राहु को दंड देने का निर्णय लिया। इसके लिए शिव जी ने अपने उग्र रूप में कीर्तिमुख की उत्पत्ति की और उसे राहु का वध करने का आदेश दिया। कीर्तिमुख ने भगवान शिव के आदेश का पालन करते हुए राहु का पीछा करना शुरू कर दिया। राहु जो अपने घमंड और संकट से परेशान था, भगवान शिव के चरणों में गिर पड़ा और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगने लगा। भगवान शिव ने राहु की प्रार्थना सुनकर उसे क्षमा कर दिया और उसकी जान बख्श दी।

इसके बाद भगवान शिव पुनः ध्यान में बैठ गए, लेकिन कीर्तिमुख अभी भी भूखा था। भगवान शिव ने ध्यान में रहते हुए कीर्तिमुख से कहा कि वह स्वयं को ही खा ले। कीर्तिमुख ने भगवान शिव के आदेश का पालन किया और अपने आप को खाना शुरू कर दिया। उसने धीरे-धीरे अपने शरीर को खा लिया। अब केवल उसका मुख और दो हाथ ही शेष रह गए। जब भगवान ने यह देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुए और कीर्तिमुख को वरदान दिया कि, जहां भी वह विराजमान होगा, वहां किसी भी प्रकार की नकारात्मकता, बुरी आत्माएं या बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाएंगी।

यहां लगाएं मूर्ति

  • कीर्तिमुख की मूर्तियों को मंदिरों के द्वार, गर्भगृह के ऊपर और मुख्य द्वार के ऊपर स्थापित किया जाता है।
  • घरों के मुख्य द्वार पर कीर्तिमुख का मुखौटा लगाया जाता है ताकि घर में शांति, सुरक्षा और समृद्धि बनी रहे।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)