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Wed, Dec 17, 2025

लगभग 5000 साल पुराना है Guruvayur Temple का इतिहास, कहलाता है दक्षिण का द्वारका, सूर्य की किरणें करती है चरण स्पर्श

Written by:Sanjucta Pandit
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मान्यता है कि भगवान कृष्ण की मूर्ति द्वारका से लाई गई थी, जिसे देव गुरु बृहस्पति और वायु वायुदेव ने इस स्थान पर स्थापित किया था। इसीलिए इसे गुरुवायूर कहा जाता है।
लगभग 5000 साल पुराना है Guruvayur Temple का इतिहास, कहलाता है दक्षिण का द्वारका, सूर्य की किरणें करती है चरण स्पर्श

Guruvayur Temple : भारत में एक से बढ़कर एक धार्मिक स्थल हैं। पूरब से लेकर पश्चिम, उत्तर से लेकर दक्षिण तक, हर कोने में किसी न किसी भगवान का मंदिर स्थापित है, जहां देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी पर्यटक पहुंचते हैं। सालों भर यहां पर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।

हर मंदिर अपनी अलग-अलग खासियत और इतिहास के लिए जाना जाता है। ऐसे में आज हम आपको केरल के प्रसिद्ध मंदिर गुरुवयूर मंदिर के बारे में बताएंगे।

दक्षिण का द्वारका

इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना होती है, जिसे दक्षिण का द्वारका के नाम से भी जाना जाता है। यहां पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की सारी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर में काफी ज्यादा भीड़ उमड़ती है। हालांकि, सालों भर यहां भक्ति, पूजा-अर्चना करने लोग पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कलयुग की शुरुआत के दौरान देवगुरु बृहस्पति और वायु देव को भगवान श्री कृष्ण की एक मूर्ति मिली थी, जो द्वारका में आए भीषण बाढ़ में बहकर यहां आ गई थी, जिसे केरल में स्थापित कर दिया गया था। इस मूर्ति को भगवान श्री कृष्ण का बाल रूप माना जाता है, जो कि ‘उन्नीकृष्णन’ के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में स्थापित मूर्ति के 4 हाथ हैं, जिनमें से 1 में शंख, दूसरे में सुदर्शन चक्र, तीसरे में कमल और चौथे में गदा धारण की हुई है। वहीं, एक अन्य मान्यता के अनुसार, मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था।

5000 साल पुराना है इतिहास

मंदिर का नाम गुरु और वायु देवता दोनों के नाम पर रखा गया है, जिसका इतिहास 5000 साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है। इसकी खासियत भक्तों को अपनी ओर खींचती है। दरअसल, यहां सूर्य की किरणें सबसे पहले भगवान गुरुवायुर के चरणों को स्पर्श करने के बाद ही उगता है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)