Sarva Pitru Amavasya 2024: हिंदू धर्म में अश्विन मास की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। यह दिन अपने पूर्वजों यानी पितरों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का एक विशेष दिन होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों की निमित्त किए गए श्राद्ध कर्म से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे भगवान विष्णु के धाम वैकुंठ में निवास करते हैं। ज्योतिष और धर्म शास्त्रों में इस दिन के महत्व का उल्लेख मिलता है। सर्व पितृ अमावस्या के दिन पित्रों का तर्पण, पिंडदान आदि करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है यह दिन परिवार के सदस्यों को एक साथ लाने और अपने पूर्वजों के आशीर्वाद प्राप्त करने का भी एक अवसर है।

दिये जलाने का महत्त्व
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त दिया जलाने का विशेष महत्व है और इसे पित्र शांति व आशीर्वाद प्राप्ति के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस अवसर पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए गए कार्यों से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार को सुख समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देते हैं
सर्व पितृ अमावस्या पर कितने दिये जलाना चाहिए?
शास्त्रों के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए विशेष रूप से दिया जलाने की परंपरा है। इस दिन पितरों के निमित्त 11 दिए और भगवान विष्णु के निमित्त एक चौमुखी दिया जलाना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
कहां-कहां जलाने चाहिए दिये
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए दिये जलाने का बहुत महत्व है। इस दिन सही स्थान पर दिये जलाना पितरों को प्रसन्न करता है और उनकी कृपा प्राप्त होती है। अगर अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर दीपक कहां-कहां जलाने चाहिए तो हम आपको बता दें, दीपक पीपल के पेड़ के नीचे, घर की दक्षिण दिशा में, घर के मुख्य द्वार पर, चौराहे पर, घर की छत पर, पवित्र नदी के तट पर, इन स्थानों पर दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
सर्व पितृ अमावस्या पर किस समय जलाएं दिये
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार पितरों की निमित्त दिया दोपहर के समय जलाना शुभ माना जाता है। इस समय को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह समय पितरों की उपस्थिति का काल माना जाता है। दोपहर के समय जलाया गया दिया पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति में सहायक होता है।
किस तेल में जलाएं दिये
सर्व पितृ अमावस्या पर सही प्रकार के दीपक का चयन करना अत्यंत आवश्यक है, शास्त्रों के अनुसार पितरों के लिए इस दिन सरसों के तेल में तिल मिलाकर दिया जलाना शुभ माना जाता है। सरसों का तेल और तिल पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है। यह दिया पितरों की दिशा यानी दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए।