Jagannath Puri Temple : जगन्नाथ रथ यात्रा को सनातन धर्म के महत्वपूर्ण यात्राओं में से एक माना जाता है, जोकि इस साल 7 जुलाई से शुरू होने वाला है। जिसकी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। यहां देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से ही लोग इस यात्रा में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने पर 100 यज्ञ के बराबर परिणाम मिलता है। इस मंदिर को लेकर बहुत सारे रहस्य जुड़े हुए हैं। यह अपने आप में चमत्कारी मंदिर भी माना जाता है, जिनमें से एक रहस्य यह भी है कि इस मंदिर में विवाहित जोड़ों का प्रवेश वर्जित है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में अधिक जानकारी देंगे।
पौराणिक कथा
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में अविवाहित जोड़ों का प्रवेश वर्जित है। दरअसल, इसके पीछे की पौराणिक कथा भगवान श्री कृष्ण की प्रेमिका राधा से जुड़ी हुई है। जिसके अनुसार, श्री राधा रानी भगवान श्री कृष्ण के जगन्नाथ के रूप में दर्शन करने के लिए पुरी आई, लेकिन वहां उन्हें मंदिर के पुजारी ने अंदर जाने से रोक दिया। श्री राधा रानी ने जब इसकी वजह पुजारी से पूछी, तो उन्होंने बताया कि देवी आप भगवान श्री कृष्ण की प्रेमिका है, ना कि विवाहित। जब इस मंदिर में श्री कृष्ण की पत्नियों को प्रवेश नहीं मिला, तो आपको कैसे प्रवेश करने दिया जाएगा। यह सुनते ही राधा क्रोधित हो गईं और उन्होंने श्राप दिया कि इस मंदिर में कोई भी अविवाहित जोड़ा प्रवेश नहीं कर पाएगा और वह ऐसी कोशिश भी करता है, तो उसे उसका प्रेम कभी भी नहीं मिलेगा।
लाखों भक्त लेते हैं हिस्सा
बता दें कि जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने सुसज्जित रथों में सवार होकर अपने मौसी के घर गुंडीचा मंदिर निकलते हैं। वहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को 7 दिन तक विश्राम कराया जाता है और भोग दिया जाता है। जिसके बाद वह फिर रथों में सवार होकर वापस चले जाते हैं। इस यात्रा में लाखों भक्त भाग लेते हैं, जहां वह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों के आसपास एकत्र होते हैं और रथ खींचते हैं।
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