Jwala Devi Temple: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर भारत के प्रसिद्ध और पवित्र शक्तिपीठों में से एक है। कलीदार पहाड़ियों के बीच बसे इस मंदिर को ज्वालामुखी के नाम से भी जाना जाता है, जहां माता की दिव्या ज्वाला अनंत काल से प्रज्वलित है।
यह मंदिर अपनी अद्भुत प्राकृतिक अग्नि और धार्मिक मान्यताओं के कारण दुनिया भर के भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। ऐसा माना जाता है कि यहां माता के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है, और देवी की कृपा प्राप्त होतीहै।
ज्वाला जी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला जी मंदिर देवी ज्वाला को समर्पित एक पवित्र और अद्वितीय धार्मिक स्थल है। इस मंदिर को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजी देवी के रूप में नौ स्थायी ज्वालाओं का घर माना जाता है।
नौ ज्वालाओं का दिव्य धाम
इस ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण राजा चंद द्वारा करवाया गया था, 1835 में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसार चंद ने इसका पुनर्निर्माण कर इसका भव्य स्वरूप प्रदान किया। जबकि 1935 में महाराजा रणजीत और राजा संसार चंद ने इसका पुनर्निर्माण कर इस भव्य स्वरूप प्रदान किया। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक मान्यताओं बल्कि अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए भी प्रसिद्ध है।
आस्था और विश्वास का केंद्र
ज्वाला देवी मंदिर की विशेषता इसकी 9 ज्वालाएं हैं, जो बिना तेल और बाती के सदियों से निरंतर प्रज्वलित है और मां दुर्गा की नौ स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती है। इन ज्वालाओं के रहस्य को समझने के लिए कई वैज्ञानिक प्रयास किए गए, लेकिन इसके पीछे का सच आज तो किसी के हाथ नहीं लगा। यह चमत्कारिक धाम देवी के भक्तों की आस्था और विश्वास को और अधिक मजबूत बनाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र मंदिर में एक बार मंत्र दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है और उनकी झोली खुशियों से हम भर जाती है। इस देवस्थान का आध्यात्मिक महत्व विशेष श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत खास बनाता है।
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