Jyeshtha Amavasya 2024: अमावस्या तिथि, भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने में एक बार अमावस्या आती है। यह तिथि भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य अत्यंत शुभ माने जाते हैं। ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहा जाता है। इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या 06 जून, 2024 को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
पितृ दोष क्या होता है
पितृ दोष, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार विधि-विधान से नहीं किया जाता है या फिर उसकी अकाल मृत्यु हो जाती है, तो उस व्यक्ति से जुड़े परिवार को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है।
पितृ दोष के लक्षण: व्यवसाय में अड़चनें। संतान प्राप्ति में कठिनाई, विवाह में बाधाएं, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, मनःस्थिति में उतार-चढ़ाव, नकारात्मक ऊर्जा से घिराव, अज्ञात भय और चिंताएं।
ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व
पितरों का तर्पण और पिंडदान करने का उत्तम अवसर। पितृ दोष से मुक्ति पाने का साधन। पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने का दिन। पापों से मुक्ति पाने का अवसर। आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग।
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्य
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। पितरों को जल अर्पित करें। तर्पण करें और पिंडदान करें। काले तिल, जौ, गुड़, वस्त्र आदि का दान करें। पितरों के नाम पर दीपदान करें। गोमाता को भोजन खिलाएं। ब्राह्मणों को भोजन कराएं। पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)