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Sun, Dec 7, 2025

2025 की आखिरी कालाष्टमी आ रही है, कुंडली के भारी दोष मिटाने का मिलेगा अनोखा मौका

Written by:Bhawna Choubey
2025 की आखिरी कालाष्टमी इस बार बेहद शुभ मानी जा रही है। ज्योतिष मानता है कि इस दिन किए गए साधारण उपायों से कालसर्प दोष, नकारात्मक ऊर्जा और जीवन की रुकावटें दूर होने लगती हैं। जानें कैसे मिलेगी राहत।
2025 की आखिरी कालाष्टमी आ रही है, कुंडली के भारी दोष मिटाने का मिलेगा अनोखा मौका

दिसंबर 2025 की कालाष्टमी (Kalashtami 2025) लोगों के लिए खास मानी जा रही है। कई लोग मानते हैं कि उनकी कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष जीवन में रुकावटें, परेशानियाँ, असफलता और मानसिक तनाव लाता है। ऐसे में साल की यह आखिरी कालाष्टमी उन लोगों के लिए एक अच्छा मौका लेकर आ रही है, जो लंबे समय से इस दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं।

कहते हैं कि इस खास दिन भगवान भैरव की पूजा, कुछ आसान उपाय और मन से की गई प्रार्थना कई बड़े ग्रहदोषों को शांत करती है। इसी वजह से कालाष्टमी 2025 को लेकर भक्तों में उत्सुकता बढ़ गई है। जो लोग अपनी किस्मत में लगातार अटकाव महसूस कर रहे हैं, वह इस दिन राहत की उम्मीद लेकर पूजा-अर्चना करते हैं।

कालाष्टमी 2025 क्यों है इतनी खास?

साल 2025 की आखिरी कालाष्टमी दिसंबर में पड़ रही है और इसे बेहद प्रभावी माना जा रहा है। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन भगवान भैरव की उपासना का फल कई गुना बढ़ जाता है। कालसर्प दोष जैसे बड़े दोषों के शांत होने की संभावना भी बढ़ जाती है। ज्योतिष यह भी मानता है कि जो लोग लगातार नकारात्मक ऊर्जा, भय, अचानक रुकावटें या आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए कालाष्टमी का दिन बेहद शुभ रहता है। इस दिन की गई पूजा व्यक्ति के जीवन पथ को थोड़ा आसान बना सकती है।

क्या है कालसर्प दोष और क्यों डरते हैं लोग?

कालसर्प दोष वह स्थिति होती है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाएं। कई लोग महसूस करते हैं कि इस दोष की वजह से मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिलती, जीवन में बार-बार बाधाएँ आती हैं, मानसिक तनाव बढ़ता है और रिश्तों में स्थिरता नहीं रहती। कई ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि कालसर्प दोष पूरी जिंदगी खराब नहीं करता, लेकिन सही समय पर की गई पूजा और भैरव साधना से यह दोष काफी हद तक शांत हो जाता है। यही वजह है कि कालाष्टमी का इंतज़ार लोग बड़ी उम्मीदों के साथ करते हैं।

कालाष्टमी 2025 पर भैरव पूजा का महत्व

भैरव बाबा को काल, बाधा और भय का नाशक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से कालाष्टमी पर भैरव पूजन करता है, उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव शुरू होते हैं। लोग भैरव मंदिर में नारियल, तेल का दीपक, हलवा-पूरी और काले तिल अर्पित करते हैं। इतनी सामान्य-सी पूजा भी मन की शांति देती है और नकारात्मक असर कम कर देती है। कालसर्प दोष से परेशान लोग इस पूजा को खास तौर पर फलदायी मानते हैं।

कालसर्प दोष शांत करने के उपाय

1. भैरव मंदिर में दीपक जलाना
इस दिन गेहूं के आटे या तिल के तेल का दीपक भैरव जी के सामने जलाना बहुत शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इससे राहु-केतु के नकारात्मक प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।

2. काले कुत्ते को रोटी देना
भैरव बाबा का वाहन कुत्ता माना जाता है। कुत्ते को भोजन कराना कालसर्प दोष शांत करने में मददगार माना गया है। यह उपाय सरल और सीधा है, लेकिन प्रभाव काफी मानते हैं।

3. ऊँ केंचाय नमः का जाप
राहु के मंत्र का जाप मन को शांत करता है। कालाष्टमी पर इस मंत्र का जाप करने से मानसिक अस्थिरता कम होती है और बाधाएँ दूर होती हैं।

4. पीपल के पेड़ के पास दिया जलाना
कहा जाता है कि पीपल सकारात्मक ऊर्जा का स्थान है। पीपल के नीचे दीपक जलाने से जीवन की रुकावटें कम होने लगती हैं।

लोगों के लिए इसका क्या मतलब है?

आज के समय में ज्यादातर लोग लगातार तनाव, आर्थिक दबाव और अस्थिरता से परेशान हैं। ऐसे में कालाष्टमी जैसे दिनों को लोग राहत और उम्मीद के नजरिए से देखते हैं। कालसर्प दोष हो या कोई अन्य बाधा कई लोग मानते हैं कि पूजा से मन को शांति और आत्मविश्वास मिलता है। यह जरूरी नहीं कि हर समस्या तुरंत खत्म हो जाए, लेकिन इस तरह की पूजा और साधना व्यक्ति में सकारात्मकता बढ़ाती है। मन मजबूत हो तो मुश्किल हालात भी आसान लगने लगते हैं।

कालाष्टमी 2025 तारीख और पूजा का शुभ समय

पंचांग के मुताबिक दिसंबर में अष्टमी तिथि 11 दिसंबर 2025, गुरुवार को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी और 12 दिसंबर, शुक्रवार की सुबह 2 बजकर 56 मिनट बजे खत्म होगी। क्योंकि कालभैरव की पूजा शाम के समय की जाती है, इसलिए कालाष्टमी का पर्व 11 दिसंबर को ही मनाया जाएगा। भक्त इस दिन सुबह स्नान कर काले तिल, दूध, धूप और दीपक के साथ भैरव जी की पूजा करते हैं। कुछ लोग कालसर्प दोष शांत करने की विशेष पूजा भी करवाते हैं।

क्या सच में कालसर्प दोष खत्म हो जाता है?

कई ज्योतिषीय मतों में यह बात कही जाती है कि पूजा के बाद दोष पूरी तरह खत्म हो भी सकता है और शांत भी हो सकता है। मगर सबसे बड़ा असर यह है कि व्यक्ति की सोच और ऊर्जा बदलती है। वह खुद को हल्का, स्थिर और सकारात्मक महसूस करता है। इसी मानसिक बदलाव से जीवन की उथल-पुथल कम होने लगती है। ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि कालसर्प दोष का इलाज सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि मन की शक्ति भी है।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।