हिंदू धर्म में कावड़ यात्रा का काफी अधिक महत्व है। 11 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने वाला है, ऐसे में शिव भक्त हरिद्वार, गोमुख, देवघर आदि से गंगाजल भरकर पैदल यात्रा करते हुए शिव मंदिर जाएंगे, यहां पर जल अर्पित करेंगे और अपनी मनोकामनाएं मांगेंगे। इस पूरे महीने शिवालयों में भक्तों की खचाखच भीड़ देखने को मिलेगी। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में भगवान विष्णु के चार सागर में विश्राम करने के दौरान बाबा भोलेनाथ ही अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
यदि इस बार आप भी कावड़ यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको इससे पहले पूजा सामग्री और नियम के बारे में जान लेना चाहिए, क्योंकि इसमें जरा सी भी भूल आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है।
नियम
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, कावड़ यात्रा को लेकर कई सारे नियम-कानून बनाए गए हैं, जिसके तहत भक्त को पूर्ण सात्विकता का पालन करना चाहिए। इसके अलावा, ब्रह्मचर्य जैसा जीवन जीना चाहिए। जब तक शिव मंदिर नहीं पहुंच जाते, तब तक कावड़ को सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। यदि आप आराम करना चाहते हैं, तो किसी पेड़ या किसी साफ स्थान पर इसे टांग कर रख देना चाहिए। यात्रा के दौरान किसी भी तरह का अपशब्द न बोलें। आप चाहें तो शिव भजन, मंत्रों का जाप कर सकते हैं या फिर ‘जय भोलेनाथ’ के जयकारे लगा सकते हैं। अन्य कांवड़ियों की मदद करें, सेवा का भाव रखना श्रद्धालुओं के लिए पुण्य कार्य हो सकता है। सफाई का भी पूरा ध्यान दें।
पूजन सामग्री
कावड़ यात्रा के लिए पीतल, तांबा या फिर प्लास्टिक का पात्र ले जाएं। भगवान शिव की छोटी तस्वीर या मूर्ति साथ रख कर ले जा सकते हैं। इसके अलावा, धूपबत्ती और माचिस, कपूर, रुद्राक्ष की माला आवश्यक तौर पर रख लें। शिव जी को लगाने के लिए चंदन, भस्म या फिर गोपीचंदन लेकर जाएं। आरती या पूजा के समय बजाने के लिए घंटा रख लें। पूजन के दौरान सफेद रंग का फूल चढ़ाएं। पूजा की थाली और साफ वस्त्र भी रख लें, ताकि आपको किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)





