राजस्थान के बीकानेर बॉर्डर पर स्थित करणी माता मंदिर (Karni Mata Mandir) न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि रहस्यों से भी भरा हुआ एक अनोखा तीर्थस्थल है। देशनोक कस्बे में स्थित यह मंदिर, देवी दुर्गा के अवतार मानी जाने वाली करणी माता को समर्पित है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे एक तपस्विनी और योद्धा थीं।
आने वाली 22 मई को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दर्शन करने की खबर ने एक बार फिर इस मंदिर को चर्चा में ला दिया है। बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर अपने अनोखे नियमों और हजारों चूहों की उपस्थिति के कारण देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। तो आइए जानते हैं इस रहस्यमयी मंदिर से जुड़े कुछ अनसुने और चौंकाने वाले तथ्यों के बारे में।

मंदिर में रहते हैं 25 हजार चूहे
इस मंदिर की सबसे अनोखी बात है यहां रहने वाले लगभग 25,000 से ज्यादा काले चूहे। जी हां, यहां चूहे मंदिर परिसर में खुलेआम घूमते हैं, खाते हैं, दौड़ते हैं और श्रद्धालु उन्हें न केवल सहन करते हैं बल्कि सम्मान भी देते हैं।
काले नहीं, सफेद चूहे हैं खास
कभी-कभी मंदिर में कोई सफेद चूहा दिख जाए तो उसे करणी माता का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जिसे सफेद चूहा दिख जाए, उसकी मुरादें जल्द ही पूरी होती हैं। श्रद्धालु ऐसे चूहों को देखकर नतमस्तक हो जाते हैं।
चूहों का जूठा प्रसाद क्यों है पवित्र?
अगर आप सोच रहे हैं कि कोई चूहा खाने में मुंह मारे और वही खाना आप खाएं तो कैसा लगेगा? लेकिन यहां यह आम बात है। यहां भक्त मानते हैं कि ये चूहे कोई साधारण जीव नहीं, बल्कि संतों और पूर्वजों की आत्माएं हैं, जो पुनर्जन्म लेकर यहां निवास कर रही हैं। अगर चूहा आपके प्रसाद को खा जाए तो लोग उसे “आशीर्वाद” मानते हैं।
चूहों को मारना क्यों माना जाता है अपराध?
इस मंदिर में अगर किसी से गलती से भी कोई चूहा मर जाए, तो यह बड़ा अपराध माना जाता है। अगर किसी से अनजाने में भी कोई चूहा कुचला जाए, तो उसे सोने का चूहा दान करना होता है। यही मंदिर की परंपरा है और इसे निभाना श्रद्धालु अपना फर्ज मानते हैं।
करणी माता कौन थीं?
करणी माता को दुर्गा माता का अवतार माना जाता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में चमत्कार दिखाए और समाज के लिए कई कार्य किए। वे चारण समाज की थीं और आज भी उन्हें “जीवित देवी” के रूप में पूजा जाता है।
कैसे बना चूहों का मंदिर?
कहते हैं कि करणी माता के सौतेले पुत्र की मृत्यु हो गई थी, तब माता ने यमराज से विनती कर उसे चूहा बनाकर धरती पर वापस भेजा। यहीं से यह परंपरा शुरू हुई और धीरे-धीरे यह मंदिर चूहों का घर बन गया।
मंदिर की अनोखी बनावट और वास्तु
मंदिर संगमरमर से बना है और इसकी वास्तुशिल्प राजस्थानी और मुग़ल शैली का मिश्रण है। मंदिर के द्वार पर सुंदर चांदी की नक्काशी और आकर्षक झरोखे इसे और खास बनाते हैं।
धार्मिक आयोजन और विशेष पर्व
नवरात्रि के समय यहां विशेष आयोजन होता है। देशभर से श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं और चूहों को दूध, अनाज और मिठाइयां चढ़ाते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि इतने चूहों के बीच संक्रमण नहीं फैलना अपने आप में आश्चर्य है। कई अध्ययन हुए लेकिन किसी को ठोस जवाब नहीं मिला।
करणी माता मंदिर से जुड़े और इन से रोचक तथ्य को भी जानें
- यहां के चूहे कभी मंदिर परिसर के बाहर नहीं जाते।
- ये चूहे ना तो बीमार पड़ते हैं, ना ही इंसानों को नुकसान पहुंचाते हैं।
- चूहों की मृत्यु दर बहुत कम है।
कैसे पहुंचें करणी माता मंदिर?
बीकानेर रेलवे स्टेशन से देशनोक की दूरी करीब 30 किलोमीटर है। आप टैक्सी, बस या निजी वाहन से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1: करणी माता मंदिर में सफेद चूहे को क्यों खास माना जाता है?
सफेद चूहे को करणी माता का प्रतीक माना जाता है और इसे देखना शुभ संकेत माना जाता है।
Q2: क्या मंदिर में चूहों से कोई बीमारी फैलने का खतरा नहीं होता?
अब तक किसी भी संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है। यह भी मंदिर के रहस्यों में से एक है।
Q3: अगर कोई चूहा गलती से मर जाए तो क्या होता है?
ऐसी स्थिति में सोने या चांदी का चूहा मंदिर को दान करना होता है।
Q4: मंदिर में चूहे क्या खाते हैं?
भक्त चूहों को दूध, लड्डू, मिठाइयां और अनाज चढ़ाते हैं।
Q5: मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
नवरात्रि के दौरान मंदिर विशेष रूप से सजा होता है और भक्तों की भीड़ रहती है।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।