नई दिल्ली: हिंदू धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष स्थान है, जिसे कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह पुण्य तिथि 5 नवंबर 2025, बुधवार को पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और दीपदान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु स्वयं माता लक्ष्मी के साथ पृथ्वी पर विचरण करते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। यह भी माना जाता है कि इस एक दिन किया गया दीपदान साल की सभी पूर्णिमाओं पर पूजा करने के बराबर फल देता है। इसी दिन गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है।

दीपदान का महत्व और संख्या
शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर विषम संख्या में दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार 5, 7, 11, 21, 51 या 101 दीये जला सकते हैं। हालांकि, इस दिन 365 बत्तियों वाला एक दीपक जलाना सबसे उत्तम माना गया है। ऐसी मान्यता है कि 365 बाती का दीया जलाने से व्यक्ति को साल भर की पूर्णिमाओं पर दीपदान करने का पुण्य एक साथ मिल जाता है।
कैसे करें दीपदान और क्या है सही विधि?
कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करने की एक विशेष विधि है। इस दिन गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान के बाद दीपदान करना श्रेष्ठ होता है। यदि नदी स्नान संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
इसके बाद घर के मंदिर, तुलसी के पौधे, पीपल के वृक्ष के नीचे, घर के आंगन, छत और मुख्य द्वार पर दीपक रखें। ध्यान रखें कि सभी दीयों में शुद्ध घी या तेल का इस्तेमाल हो। दीपक जलाते समय ‘ॐ नमो नारायणाय’ या ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना शुभ फलदायी होता है।
दीपदान का शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली पर पूजा और दीपदान के लिए प्रदोष काल को सबसे उत्तम समय माना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस बार 5 नवंबर को दीपदान का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इस समय दीपदान करने से घर में सुख-शांति आती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।










