Ketu Upay : अगर केतु बन रहा है कष्ट का कारण तो करें ये निवारण, इन सरल उपायों से मिलेगी मुक्ति

Ketu Upay

Try these tips to neutralize ketu impactराहु और केतु से लोग डरते हैं। मान्यता है कि इनका जन्म एक ही राक्षस के शरीर से हुए है, सिर वाला भाग राहुल कहलाता है और धड़ वाला भाग केतु। दोनों को ज्योतिष में छाया ग्रह कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष की मानें तो केतु भी राहु की ही तरह एक क्रूर ग्रह है।

केतु के प्रभावों की बात करें तो उसके प्रभाव शुभ भी होते हैं और अशुभ भी। दोनों तरह के प्रभाव वाला केतु अगर अशुभ होता है तो पीड़ित का करियर भी खराब कर देता है और शुभ होता है तो तरक्की दिलाता है और धन वर्षा भी होती है। केतु के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। ये ऐसे उपाय हैं जिन्हें आप आसानी से कर भी सकते हैं और केतु के दुष्प्रभाव से छुटकारा भी हासिल कर सकते हैं।

गाय और कुत्ते का भोग

केतु की अशुभ दशा को खत्म करने या दूर करने के लिए आप गाय और कुत्ते को खाने का भोग लगा सकते हैं। एक दिन में अलग अलग रंग के कुत्तों को खाने खिलाने से काम ज्यादा आसान हो जाएगा। उसी तरह भूरी या लाल सी दिखने वाली गाय को हरा चारा खिलाना ज्यादा बेहतर उपाय माना जाता है।

कोयले का उपाय

केतु के लिए ये वाला उपाय आपको हफ्ते में सिर्फ एक दिन करना है। मंगलवार के दिन कोयले के आठ टुकड़े लेने हैं और उन्हें पानी में बहा दें। इसके अलावा आप लाल चीटियों को खाना भी खिला सकते हैं, इसे भी शुभ माना जाता है। साथ ही दिव्यांगों को कपड़े दान करने से भी काम बन सकता है।

भैरवदेव की उपासना

भगवान भैरवज की उपासना करने से भी केतु का प्रभाव कम होता है। इसके अलावा अपने साथ आप हमेशा एक हरे रंग का रुमाल रखें। भैरव देव के सामने केले के पत्ते में चावल का भोग लगाएं।

तिल का दान

केतु की शांति के लिए सुहागिनों को तिल के लड्डू का दान देना चाहिए। इसके अलावा कन्याओं को रविवार के दिन मीठा दही और हलवा खिलाना चाहिए।

(डिस्क्लेमर : ये जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त की गई है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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