आज से खरमास की शुरुआत होने जा रही है, जिसका हिंदू धर्म में खास महत्व माना गया है। इस महीने की शुरुआत के साथ ही मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है। इस समय विवाह, मुंडन, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ काम नहीं किए जाते।
खरमास को धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दौरान पूजन, पाठ, अनुष्ठान, का विशेष महत्व बताया जाता है। ऐसा कहते हैं कि विशेष नियमों का पालन करते हुए जो व्यक्ति इस समय भगवान की आराधना करता है उसके जीवन में शुभता आती है। पौष कृष्ण प्रतिपदा से शुरू होने वाला यह खरमास एक महीने तक चलेगा।
आज से खरमास की शुरुआत
ज्योतिष के मुताबिक जब सूर्य का गुरु की राशि धनु में गोचर होता है तब खरमास शुरू होता है। इसके मकर राशि में प्रवेश करते हैं यह खत्म हो जाता है। दरअसल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और मांगलिक कामों की शुरुआत हो जाती है। 16 दिसंबर को दोपहर 1:24 पर सूर्य का धनु राशि में प्रवेश होगा, जो खरमास की शुरुआत है। इसके बाद 14 जनवरी को माघ कृष्ण एकादशी की रात 9:19 पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हो जाएगा, तब खरमास समाप्त हो जाएगा।
साल में दो बार लगता है खरमास
आपको बता दें खरमास वर्ष में दो बार लगता है। एक धनुर्मास और दूसरा मीन मास में होता है। सूर्य के गुरु की राशियों धनु और मीन में प्रवेश के समय इसकी शुरुआत होती है। जैसे ही सूर्य गुरु की राशि में प्रवेश करता है विवाह और मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। दरअसल, शादी विवाह के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ स्थिति में होना जरूरी होता है।
इस समय क्या करें
इस महीने में मांगलिक कार्य तो निषेध है लेकिन धार्मिक कार्यों का खास महत्व है। भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम, सत्यनारायण कथा, भागवत पाठ और पुरुष सूक्त किया जा सकता है। इस समय की गई पूजन से श्रीहरि विष्णु जल्दी प्रसन्न होते हैं। खरमास में पितरों के पिंडदान का भी विशेष महत्व बताया गया। इस समय किए गए पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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