Mata Parvati Curse to Maa Ganga : हिंदू धर्म में गंगा नदी को माता का दर्जा प्राप्त है। लोग इन्हें मां गंगा कहकर पुकारते हैं। ऐसी मान्यता है कि गंगा पानी में डुबकी लगाने से इंसान के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा का जल अमृत होता है, जिसे सभी शुभ कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। इसे दशकों तक भी रखने से इसमें गंदगी या कीड़े नहीं होते। मां गंगा का उद्गम स्थल हिमालय के पर्वत में माना जाता है।
यहां पर सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इनमें से एक मां गंगा भी है, जिसे भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। यह करोड़ों भारतीयों की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है।
पौराणिक कथा (Mata Parvati Curse to Maa Ganga)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां गंगा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण कर पृथ्वी पर अवतरित किया था। जिसकी लंबाई 2525 किलोमीटर है, लेकिन क्या आप जानते हैं माता पार्वती ने गंगा को मैली और काली होने का श्राप दिया था। जी हां, देवी-देवताओं द्वारा दिए गए श्राप से स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी नहीं बच सकते हैं। माता पार्वती हिमालय की पुत्री हैं, जबकि मां गंगा का अवतरण भी हिमालय से ही हुआ है। इस हिसाब से दोनों बहने हुई, लेकिन दोनों के बीच ऐसी अनबन कि माता पार्वती ने गुस्से में आकर मां गंगा को श्राप दे दिया। बहुत से पुराणों में इस बात का जिक्र पाया जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठकर तपस्या कर रहे थे। वहीं, जब भगवान शिव ने अपने नेत्र खोले तो मां गंगा उनके सामने पाया। तब उन्होंने गंगा से प्रश्न किया कि वह हाथ जोड़ उनके सामने क्यों खड़ी है, तब गंगा ने कहा कि मैं आप पर मोहित हो गई हूं, इसलिए आप मुझे अपने पत्नी के रूप में स्वीकार कर लें।
माता पार्वती हुईं क्रोधित
यह सुनते ही माता पार्वती क्रोधित हो गई और ज्वाला से भड़की हुई आंखें खोलते हुए गंगा से कहा कि बहन होकर तुम यह कैसी बात कर रही हो। तब गंगा ने जवाब दिया कि इससे क्या फर्क पड़ता है। भले ही तुम भगवान शिव की अर्धांगिनी हो, लेकिन वह अपने सिर पर मुझे धारण करते हैं। इस बात को सुनते ही माता पार्वती ने अपना आपा खो दिया और उन्होंने श्राप दिया कि अब गंगा में मृत्यु शरीर बहेंगे। मनुष्यों के पाप धोते-धोते वह स्वयं मैली हो जाएंगी। जिस कारण तुम्हारा रंग भी काला पड़ जाएगा।
मां गंगा ने मांगी माफी
यह सुनते ही गंगा बिल्कुल डर गई और कांपते हुए स्वर में उन्होंने माता पार्वती से माफी मांगी और श्राप वापस लेने की भी अपील की। तब भगवान शिव ने उन्हें श्राप मुक्त कर दिया और कहा जो तुम्हारे जल से स्नान करेगा, उसके पाप धुल जाएंगे, यही तुम्हारा पश्चताप होगा।
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