भारत में सालों भर पर्व, त्यौहार और व्रत का सिलसिला जारी रहता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने का आखिरी प्रदोष व्रत 11 मार्च को रखा जाएगा। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। संस्कृत में पर का अर्थ श्रेष्ठ और दोष का अर्थ पाप होता है। इस व्रत को दोष का नाश करने और जीवन में सुख व समृद्धि पाने के लिए रखा जाता है। इसे करने से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही भक्त के सारे कष्ट दूर होते हैं।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 मार्च को सुबह 8:13 पर शुरू होगी। जिसका समापन 12 मार्च को सुबह 9:11 पर होगा। ऐसे में 11 मार्च को प्रदोष व्रत किया जाएगा।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब विष निकला था, तब भगवान शिव ने इसे ग्रहण किया और कंठ में धारण किया, जिससे वह नीलकंठ कहलाए थे। त्रयोदशी के दिन भगवान शिव ने इस विश्व को अपने नियंत्रण में रखा था, इसलिए यह व्रत विशेष महत्व रखता है। जिसे रखने पर साधक के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है। जीवन में आने वाले सभी बाधाएं दूर होती हैं। वैवाहिक जीवन सुखी होता है।
ऐसे करें पूजा
- इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें।
- इसके बाद साफ वस्त्र पहनें।
- अब भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
- फिर बिल्व पत्र, धतूरा, अक्षत, पंचामृत, गंगाजल, दीपक, धूप, दूध, शहद, फल, आदि चढ़ाएं।
- इसके बाद भगवान शिव की आरती उतारें।
करें यह उपाय
- यदि आप जीवन में सुख और समृद्धि चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर भांग और बेलपत्र अर्पित करें।
- आप शिवलिंग पर धतूरा भी चढ़ा सकते हैं, जिससे संतान से जुड़ी समस्या दूर होगी और मन को शांति मिलेगी।
- इसके अलावा, आप शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद इस पर चंदन का तिलक लगाएं, जिससे खुशियों का आगमन होगा।
- प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग का शहद से अभिषेक करें। इससे धन की समस्या दूर होगी और तिजोरी हमेशा भरी रहेगी।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)