Manikaran Shiv Temple : भारत के हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित मणिकरण शिव मंदिर अपने साथ रहस्यमई इतिहास समेटे हुए है। यह मंदिर पूरे देश भर में प्रचलित है। यह सिख और हिंदू दोनों का तीर्थ स्थल भी है। सावन, शिवरात्रि के महीने में यहां लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सारी समस्याएं खत्म हो जाती है।
यहां आने भक्त कभी भी खाली हाथ नहीं लौटते हैं। पहाड़ की वादियां में पार्वती नदी के किनारे बसा यह मंदिर लोगों का मन मोह लेती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में कड़कती ठंड में भी पानी उबलता रहता है। इसका रहस्य आज तक कोई वैज्ञानिक भी नहीं पता लगा पाया है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां बहती नदी से नाराज होकर भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली थी। जिस कारण यहां का पानी उबलने लगा था। बता दें कि मणिकरण में भगवान शिव और माता पार्वती ने कई वर्षों तक तपस्या की थी। इस दौरान माता पार्वती के कान का बाली खो गई, जो तेज बहाव में बहते हुए पाताल लोक पहुंच गई। जिसे ढूंढने के लिए भगवान ने कुछ लोगों को वहां भेजा, लेकिन बाली नहीं मिली। जिससे क्रोधित होकर बाबा भोलेनाथ ने अपनी तीसरी आंख खोलते हुए अपनी शक्तियों का उपयोग किया, तब नैना देवी ने प्रकट होकर उनसे माफी मांगी और शेषनाग से बाली वापस करने के लिए कहा। जिनके आदेश का पालन करते हुए शेषनाग ने फुंकार भरी, जिससे बहुत सारी मनी एक साथ वहां जमा हो गई। इसमें माता पार्वती के कान की बाली भी थी। तब से इस स्थान को कर्णफूल के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान राम ने भी की थी पूजा
मान्यताओं के अनुसार, मंदिर के पास बहने वाली पार्वती नदी में स्नान करने से त्वचा रोग भी ठीक हो जाता है। इस नदी को लेकर भी एक इतिहास जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने यहां महादेव की पूजा-अर्चना की थी। वहीं, मणिकरण साहिब गुरुद्वारा भी पास में ही स्थित है, जो कि गुरु नानक देव जी की यात्रा से जुड़ा है।
मनोकामनाएं होती है पूर्ण
यदि आप भी अपने परिवार, पार्टनर या फिर मित्र के साथ यहां जाना चाहते हैं, तो अवश्य इस प्लेस को एक्सप्लोर करें। यहां आपको आध्यात्मिक तौर पर भी शांति मिलेगी। आप यहां भगवान शिव की आराधना करके मनोकामनाएं पूरी होने की कामना कर सकते हैं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)