Gita Updesh : द्वापर युग में महाभारत युद्ध लड़ा गया था। इस दौरान भगवान श्री कृष्णा और अर्जुन के बीच कुरुक्षेत्र की रणभूमि में बातचीत हुई थी। जब माधव ने अर्जुन को जीवन का संपूर्ण रहस्य बताया था। इसके साथ ही अपने विश्व रूप को उनके सामने प्रकट कर अर्जुन के मन में चल रही दुविधा को समाप्त किया था। बता दें कि भगवद्गीता में 700 श्लोक और 18 अध्याय है, जिसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था। हालांकि, अब यह ग्रंथ हिंदी, इंगलिश, तेलुगु, बंगाली, गुजराती, उर्दू, तमिल, मराठी, नेपाली, सहित अन्य कई भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। इसमें कर्म, धर्म और भक्ति का मार्गदर्शन दिया गया है, जिन्हें अपना कर मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति के रास्ते पर चल सकता है।

तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको भगवान श्री कृष्ण द्वारा बताई गई प्रेम की अद्भुत परिभाषा के बारे में बताएंगे, जिनका अनुसरण करने वाला हर व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ होता है।
त्याग
- श्रीकृष्ण भगवान ने भगवद्गीता में प्रेम के उच्चतम रूप को समझाया है। उन्होंने कहा है कि प्रेम का अर्थ उसमें विनियोग नहीं, बल्कि उसमें खो जाना है।
- माधव के अनुसार, जब हम किसी से प्रेम करते हैं, तो हम उनकी सेवा, समर्थन और स्नेह के माध्यम से बिना किसी अपेक्षा के उनके लिए कुछ करने को तैयार हो जाते हैं।
- बता दें कि प्रेम में त्याग होता है, जिसमें हम खुद को भूल जाते हैं और दूसरों की खुशियों के लिए समर्पित हो जाते हैं।
फैसला
- श्रीकृष्ण भगवान ने भगवद्गीता में स्वतंत्र विचार की महत्व को समझाया है। उन्होंने कहा है कि हमें अपने जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण फैसलों को स्वयं ही लेना चाहिए।
- कई बार हम अपने जीवन में अहम फैसले लेने के लिए अन्य लोगों की सहायता लेते हैं, लेकिन श्रीकृष्ण भगवान ने हमें स्वयं की शक्ति पर भरोसा करने की बड़ी महत्वता दी है।
- वह कहते हैं कि हमें अपने आत्मा की आवाज को सुनना चाहिए और उसके अनुसार निर्णय लेना चाहिए, जिससे हमें बाद में किसी प्रकार का अफसोस नहीं होता।
प्रेम
- गीता उपदेश के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने प्रेम की परिभाषा को अद्भुत तरीके से समझाते हुए कहा कि जो व्यक्ति बिना किसी चाह के आपको प्रेम करें, वही सच्चा प्रेम है।
- प्रेम का अर्थ यह नहीं की किसी को पा लो। इसलिए जब भी प्रेम का उदाहरण दिया जाता है, तो लोग कृष्ण और राधा को याद करते हैं। क्योंकि राधा ने यह जानते हुए कृष्ण को प्रेम किया था कि वह उन्हें कभी प्राप्त नहीं होंगे।
वफादारी
- गीता उपदेश के दौरान माधव ने इस बात का जिक्र किया है कि पुरुष कोई भी जंग जीत सकता है। अगर उसके हर कदम पर साथ देने वाली एक वफादार महिला हो।
- इसलिए यह कहा गया है कि पत्नी एक ऐसी साथी होती है, जो अपने पति की हर परिस्थिति में साथ देती है। ऐसे में वह किसी भी कठिन परिस्थिति को आसानी से पर कर पाता है।
लगाव
- गीता उपदेश के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह बताया था कि किसी भी व्यक्ति से ज्यादा लगाव हानिकारक होता है। यह उसके जीवन में दुखों का कारण बनती है।
- दरअसल, लगाव से उम्मीदें जगती हैं और जब यह टूटती है तो इंसान पूरी तरह से बिखर जाता है। इसलिए किसी से भी ज्यादा लगाव ना रखें। इससे आगे चलकर आपको नुकसान हो सकता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)





