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Sun, Dec 7, 2025

महाभारत: शिखंडी कैसे बना था भीष्म पितामह की मृत्यु का कारण, पिछले जन्म में इस देवता से मिला था विशेष आशीर्वाद

Written by:Sanjucta Pandit
महाभारत में पांडव-कौरव युद्ध के साथ शिखंडी की कहानी भी महत्वपूर्ण है। शिखंडी का पिछला जन्म अम्बा था, जिसने भीष्म से बदला लेने के लिए पुरुष बनकर जन्म लिया और युद्ध में भीष्म की ढाल बनकर एक पड़ाव को पहुंचाया था।
महाभारत: शिखंडी कैसे बना था भीष्म पितामह की मृत्यु का कारण, पिछले जन्म में इस देवता से मिला था विशेष आशीर्वाद

महाभारत का नाम सुनते ही सबसे पहले दिमाग में वह भीषण युद्ध की तस्वीर सामने आ जाती है, जहां एक ही परिवार के भाइयों के बीच आपस में लड़ाई लड़ी गई थी, जो इतिहास की सबसे बड़े युद्ध की गाथा है। हिंदू धर्म में महाभारत ग्रंथ काफी महत्वपूर्ण है, जिसमें पांडवों और कौरवों के बीच संघर्ष का वर्णन मिलता है। इसमें राजनीति, धर्म, कर्तव्य, नैतिकता सहित मानव स्वभाव के बारे में जानने और सीखने को मिलता है। जिसे लेकर फिल्म और टेलीविजन धारावाहिक भी बनाई जा चुकी है। अक्सर जब भी पांडव, कौरव या फिर भगवान कृष्ण का नाम लिया जाता है, तो सीरियल में इन किरदारों को निभाए गए एक्टरों की छवि ही उभर कर सामने आती है।

महर्षि वेदव्यास द्वारा महाभारत को लिखा गया था, जिसमें द्वापर युग की कहानी का वर्णन मिलता है। महाभारत का युद्ध इतिहास के सबसे भीषण युद्ध में से एक है।

प्रेरणा का स्रोत

महाभारत के सभी पात्र वर्तमान युग में जीने वाले लोगों को कुछ ना कुछ संदेश जरूर देते हैं। अर्जुन की वीरता, कर्ण का दानवीर चरित्र, युधिष्ठिर की सत्य निष्ठा, द्रोपदी का साहस, भीष्म की संकल्प शक्ति आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। महाभारत में पांडव और कौरवों के अलावा भगवान कृष्ण और भीष्म पितामह महत्वपूर्ण रहे हैं, जिन्होंने अपने परिवार की सुरक्षा का वचन लिया था, जिसे निभाते हुए वह युद्ध में अन्याय के खिलाफ लड़कर वीरगति को प्राप्त हुए थे।

शिखंडी का जिक्र

महाभारत में ही हमें शिखंडी का जिक्र भी मिलता है, जो एक ऐसा पात्र रहा, जो अंत में भीष्म पितामह की मौत बना। बता दें कि वह पिछले जन्म में स्त्री था। हालांकि स्त्री से इस जन्म में पुरुष बनने की कथा बहुत ही दिलचस्प है। दरअसल, महाभारत में शिखंडी का नाम भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। शिखंडी का किरदार अन्य युद्ध पात्रों से अलग और रोचक है, क्योंकि उसका जीवन पूरी तरह से न्याय, प्रतिशोध और धर्म के लिए समर्पित था। इस पात्र से यह समझना चाहिए कि पिछले कर्म और जन्मों का प्रभाव वर्तमान में भी दिखाई देता है।

रहस्य है दिलचस्प

शिखंडी की कहानी थोड़ी अलग और बहुत ही दिलचस्प है। शिखंडी का जन्म एक विशेष उद्देश्य से हुआ था, जो कि भीष्म पितामह के सामने प्रतिशोध लेने के लिए था। शिखंडी का पिछला जन्म अम्बा के रूप में हुआ। अम्बा काशी नरेश की तीनों पुत्रियों में से एक थी। इन तीनों बहनों का स्वयंवर हुआ, जिसमें राजकुमार शाल्व चुना गया। लेकिन उस समय भीष्म पितामह ने हस्तिनापुर की ओर से अपनी योजना बनाई और तीनों बहनों का बलपूर्वक अपहरण कर लिया। उनका उद्देश्य था कि ये बहनें राजा विचित्रवीर्य के साथ विवाह करें। महल में पहुंचने के बाद अम्बा ने भीष्म को बताया कि उसने पहले ही शाल्व को अपना वर मान लिया है, जिसे सुनते ही भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भेजने की अनुमति दे दी।

की कठोर तपस्या

जब अम्बा शाल्व के पास पहुंचीं, तो शाल्व ने उन्हें स्वीकार करने से मना कर दिया। इस अपमान और असहाय स्थिति से दुखी होकर अम्बा ने उन्होंने प्रतिशोध की कसम खाई। इस दुख और प्रतिशोध के चलते अम्बा ने कठोर तपस्या की। उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की कि उन्हें अगले जन्म में पुरुष के रूप में जन्म मिले, ताकि वह भीष्म से बदला ले सकें। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि अगली बार वह पुरुष बनकर जन्म लेंगी और अपने प्रतिशोध को पूरा करेंगी। जिसके बाद वरदान अनुसार अम्बा का पुनर्जन्म राजा द्रुपद के घर में शिखंडी के रूप में हुआ।

ऐसे लिया बदला

इधर जब युद्ध शुरू हुआ, तो यह लंबा खिंचता जा रहा था। पितामह पांडवों के सैनिकों का लगातार वध कर रहे थे, जिसे रोकने के लिए सभी पांडव मिलकर शिखंडी के पास गए। फिर क्या था… शिखंडी का वह समय आ चुका था जब वह अपने अपमान का बदला ले सके, वह अगले दिन युद्ध में भीष्म पितामह के सामने खड़ा हो गया। वहीं, भीष्म जानते थे कि शिखंडी वास्तव में अम्बा का ही रूप है, इसलिए उन्होंने उस पर हथियार नहीं उठाए। अर्जुन ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया और शिखंडी को ढाल बनाकर भीष्म पर बाणों की बौछार कर दी।

हालांकि, भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, इसलिए वह तब भी जीवित रहे जब उनके शरीर पर बाणों की बारिश हो रही थी। उन्होंने अंत तक युद्ध को देखा। जब उन्हें लगा कि उनका हस्तिनापुर चारों ओर से सुरक्षित हो चुका है, अब उनकी नगरी में सत्य और न्याय को स्थान मिल चुका है, तब जाकर उन्होंने अपने प्राण त्यागे थे।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)