MP Breaking News
Sun, Dec 21, 2025

Mahakal : इस वजह से उज्जैन में रात नहीं रुकते कोई मंत्री, भुगतना पड़ता है ये खामियाजा

Written by:Ayushi Jain
Published:
Last Updated:
Mahakal : इस वजह से उज्जैन में रात नहीं रुकते कोई मंत्री, भुगतना पड़ता है ये खामियाजा

धर्म डेस्क रिपोर्ट। उज्जैन (Ujjain) के महाकालेश्वर मंदिर (Mahakal) में दर्शन करने के लिए लोगों की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए बड़ी-बड़ी हस्तियों के साथ ही राजनीतिक पदों पर आसीन मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सभी लोग यहां आते हैं। लेकिन कोई भी यहां दर्शन करने के बाद रात नहीं रुकता। इसके पीछे की वजह सभी को हैरान कर देती हैं।

दरअसल, महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन करने के बाद कोई भी बड़ा नेता या मंत्री उज्जैन में नहीं रुकते हैं। अगर उन्हें रुकना भी होता है तो वह उज्जैन के बाहर किसी होटल या फिर कहीं और रुकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों तो आपको बता दें, जो भी नेता या मंत्री यहां पर रात में विश्राम करता है उसकी सत्ता भी चली जाती है। ऐसे में उज्जैन में कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति रुकने से डरते है। इसके पीछे मान्यता है तो चलिए जानते है –

ये है मान्यता –

लंबे समय से ये मान्यता चली आ रही है कि जो भी मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या फिर राष्ट्रपति यहां महाकाल बाबा के दर्शन करने के बाद रात गुजारता है तो उसकी सत्ता में वापसी नहीं हो पाती हैं। कहा जाता है कि बाबा महाकाल खुद राजाधिराज है। ऐसे में उनके दरबार में दो राजा नहीं रुक सकते हैं। अगर कोई गलती से रुक भी जाता है तो वो अपनी सत्ता में वापस नहीं जा पता हैं। उसके लिए मुश्किलें काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं।

Must Read : Salman Khan को बंदूक रखने का मिला लाइसेंस, जान से मारने की धमकी के बाद बढ़ाई गई थी सुरक्षा

इनकी गई सत्ता, भुगतना पड़ा खामियाजा –

कहा जाता है कि यहां महाकाल बाबा के दर्शन के बाद किसी नेता को नहीं रुकना चाहिए। क्योंकि उसकी उसके बाद से कुर्सी छीन ली जाती हैं। इसका खामियाजा एक प्रधानमंत्री भुगत चुके हैं। जी हां, भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने ये खामियाजा भुगता है। दरअसल, वह उज्जैन में बाबा के दर्शन करने के बाद रात रुख गए थे जिसके बाद दूसरे ही दिन उनकी सत्ता चले गई और उनकी सरकार गिर गई। इतना ही नहीं कर्नाटक के मुख्मंत्री येदियुरप्पा भी यहां रात रुख गए थे। ऐसे में उन्हें भी अपने पद से 20 दिन के अंदर ही त्याग पत्र देना पड़ गया।

इस दिन से है ये मान्यता –

उज्जैन राजा विक्रमादित्य के वक्त से ही राज्य की राजधानी थी। मान्यताओं के मुताबिक, उज्जैन में राजा भोज के वक्त से ही कोई राजा, नेता, मंत्री, प्रधानमंत्री यहां रात में विश्राम नहीं कर सकते हैं। जो भी रात रुकना चाहता है वो उज्जैन से बाहर ही रात रुकता है। वरना उसकी सत्ता राजा भोज के वक्त से ही चली जाती आई है।