Sun, Dec 28, 2025

महाशिवरात्रि पर रीढ़ सीधी रखकर बैठने और ध्यान करने से क्या होता है? जानें इसका वैज्ञानिक कारण

Written by:Bhawna Choubey
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महाशिवरात्रि सिर्फ उपवास और पूजा का दिन नहीं, बल्कि यह एक खास आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी रखता है। इस दिन धरती की ऊर्जा ऊपर की ओर बहती है, जिससे हमारे शरीर पर असर पड़ता है। खासतौर पर, अगर हम अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर ध्यान करें, तो इस ऊर्जा का पूरा लाभ मिलता है।
महाशिवरात्रि पर रीढ़ सीधी रखकर बैठने और ध्यान करने से क्या होता है? जानें इसका वैज्ञानिक कारण

वैसे तो हम सभी महाशिवरात्रि को श्रद्धा, आस्था का पर्व मानते हैं, सभी को साल भर इस पर्व का इंतज़ार रहता है। साल भर में 12 शिवरात्रि आती है, हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि होती है। फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि को लेकर लोगों में अलग-अलग मान्यताएं हैं, इस दिन पूजा पाठ, उपवास आदि का विशेष महत्व है ये बातें लगभग हर कोई जानता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन ध्यान का भी विशेष महत्व है, महाशिवरात्रि के दिन ध्यान का विशेष महत्व क्यों है? इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं, जिन पर शायद ही कभी किसी ने ग़ौर किया होगा। लेकिन पहले हम कुछ नज़र पौराणिक मान्यताओं और महत्व पर डाल देते हैं, फिर हम जानेंगे वैज्ञानिक कारण।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है। यही कारण है कि शिवरात्रि के कुछ दिनों पहले ही शिव मंदिरों में भगवान शिव की विवाह की रस्में शुरू हो जाती है, जिसमें हल्दी, मेहंदी , शोभायात्रा, बारात समेत कई रस्में शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस भी युवक या युवती की शादी नहीं हो रही है, या फिर शादी में तमाम प्रकार की अड़चन आ रही है, तो ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

 ध्यान का क्या हैं महत्त्व (Mahashivratri 2025)

जैसा कि कहा जाता है, यत ब्रह्माण्डे तत् पिंडे, इसका मतलब है कि जो कुछ भी इस ब्रह्माण्ड में है, वह सब कुछ हमारे शरीर में मौजूद है। महाशिवरात्रि के दिन अगर हम अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी करके योग मुद्रा में बैठते हैं, तो ऐसे में भगवान शिव की ऊर्जा को हम आसानी से महसूस कर पाते हैं। यही कारण है कि साधु संत इस ऊर्जा को पाने के लिए सालों साल तक साधना करते हैं, लेकिन शिवरात्रि की रात यह प्रक्रिया अपने आप सक्रिय हो जाती है।

आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत अनुभव

इस ख़ास दिन पर, प्रकृति खुद ब खुद हमें आध्यात्मिक रूप से ऊँचा उठाने का प्रयास करती है। इसलिए अक्सर ऐसा कहा जाता है कि शिवरात्रि की रात सीधे बैठकर ध्यान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन जो भी व्यक्ति अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी करके भगवान की पूजा और साधना करता है, उसे एक अद्भुत ऊर्जा का अनुभव प्राप्त होता है।

शिवरात्रि को साल की सबसे अँधेरी रात माना जाता है, इस रात को मोक्ष प्रदान करने वाली रात भी माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन चंद्रमा और पृथ्वी की ऐसी स्थिति होती है कि इंसान की रीढ़ की हड्डी पर एक ख़ास तरह का ऊर्जावान असर पड़ता है, अगर योग और ध्यान विज्ञान के अनुसार देखा जाए, तो इस रात शरीर की ऊर्जा अपने आप ऊपर की ओर बहती है, जब हम सीधे बैठते हैं, ध्यान में लीन रहते हैं, तो यह ऊर्जा हमारे दिमाग़ तक पहुँचती है, यही कारण है कि इस दिन ध्यान पूजा और साधना का विशेष महत्व है।

महाशिवरात्रि पर व्रत रखने का वैज्ञानिक कारण

कई लोग महाशिवरात्रि के व्रत को सिर्फ़ और सिर्फ़ आध्यात्मिक दृष्टि से देखते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि व्रत रखने के पीछे भी गहरा वैज्ञानिक कारण छिपा हुआ है। दरअसल, महाशिवरात्रि के दिन चंद्रमा और पृथ्वी की स्थिति हमारे शरीर की जैविक घड़ी को संतुलित करने में मदद करती है, जब हम इस दिन व्रत रखते हैं तो हमारा पाचन तंत्र बेहतर होता है।

व्रत रखने से शरीर की ज़हरीले पदार्थ तत्व निकल जाते हैं, मेटाबॉलिज़्म भी सही रहता है, व्रत रखने से बॉडी अच्छी तरह से डिटॉक्स हो जाती है, जब हम इस दिन फलों और पानी का सेवन करते हैं, तो हमारा शरीर अंदर से शुद्ध हो जाता है, साथ ही साथ मन को शांति भी मिलती है। इतना ही नहीं महाशिवरात्रि की रात जब हम जागरण करते हैं, तब हमारे शरीर में मेलाटोनिन हारमोन बढ़ता है, जो तनाव को कम करने में मदद करता है साथ ही साथ मन को शांत भी रखता है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि की रात भजन, ध्यान और सत्संग का विशेष महत्व है।