भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। श्रीगणेश प्रथम पूज्य हैं। किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले इन्हीं का पूजन किया जाता है। इससे हर कार्य बिना विघ्न के संपन्न हो जाता है। गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग अवतार लिया। सब जानते हैं कि शिवशंकर भोलेनाथ इनके पिता तथा देवी पार्वती माता है। लेकिन आज हम आपको इनके परिवार के अन्य सदस्यों से मिलाने जा रहे हैं।
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गणेशजी को बुद्धि का देवता माना जाता है। बुधवार को इनकी पूजा करने का विशेष महत्व है। गजानन की दो पत्नियां है जिनका नाम रिद्धि और सिद्धि हैं। इन्हें भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्रियां माना जाता है। हालांकि एक किवदंति ये भी कहती है कि इन दोनों के पिता प्रजापति विश्वकर्मा हैं। भगवान गणेश के दो पुत्र हैं जिनके नाम शुभ लाभ है। इसके पीछे भी एक कहानी है। रिद्धि के पुत्र का नाम क्षेम है और सिद्धि के पुत्र का नाम लाभ। भगवान शिव ने रिद्धि के पुत्र का नाम क्षेम रखा था लेकिन माता पार्वती उनको प्रेम से लाभ नाम से पुकारती थीं। इसके बाद दोनों का नाम शुभ लाभ प्रचलित हुआ। इनकी एक पुत्री भी है जिनका नाम संतोषी है। शास्त्र अनुसार गणेशजी की बहुओं के नाम तुष्टि और पुष्टि हैं। इसके साथ उनके दो पोते-पोतियां हैं जिनका नाम आमोद और प्रमोद हैं।
गणेश जी की दोनों पत्नियां भी पूज्य हैं। रिद्धि शब्द का अर्थ है ‘बुद्धि’ जिसे का हिंदी में शुभ कहते हैं। सिद्धी का अर्थ होता है ‘आध्यात्मिक शक्ति’ की पूर्णता यानी ‘लाभ’। जब भी कोई शुभ अवसर होता है तो इनके पुत्रों के नाम हम स्वास्तिक के दाएं-बाएं लिखते हैं। मध्य में स्वास्तिक, दायीं तरफ शुभ और बायीं तरफ लाभ लिखा जाता है। स्वास्तिक की दोनों अलग-अलग रेखाएं गणपति जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं। मान्यता है कि मुख्य द्वार पर स्वास्तिक के साथ शुभ लाभ लिखने से घर में अच्छाई, पवित्रता और समृद्धि का प्रवेश होता है।