Micro Flower Moon: बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रमा रहेगा पृथ्‍वी से दूर, दिखेगा छोटा और कम चमकदार, जानें क्यों?

सोमवार को चंद्रमा की पृथ्‍वी से दूरी लगभग 4 लाख 6 हजार किमी होगी । चंद्रमा अधिक दूर होने के कारण न केवल अपेक्षकृत छोटा महसूस होगा बल्कि चमक भी कम महसूस होगी ।

Micro Flower Moon: 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर आसमान में एक अद्भूत खगोलीय घटना देखने को मिलेगी।सोमवार को पूर्णिमा का चंद्रमा ना सिर्फ पृथ्वी से दूर रहेगा बल्कि अपेक्षाकृत छोटा और कम चमकदार भी दिखाई देगा। खगोलविज्ञान में इसे माइक्रोमून का नाम दिया गया है ।

नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि आम पूर्णिमा की तुलना में सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रमा न केवल छोटा महसूस होगा बल्कि इसकी चमक भी अपेक्षाकृत कमजोर होगी । इस रात्रि चंद्रमा की पृथ्‍वी से दूरी लगभग 4 लाख 6 हजार किमी होगी । चंद्रमा अधिक दूर होने के कारण न केवल अपेक्षकृत छोटा महसूस होगा बल्कि चमक भी कम महसूस होगी । खगोलविज्ञान में इसे माइक्रोमून का नाम दिया गया है । सुपरमून पूर्णिमा के समय यह दूरी लगभग 3 लाख 60 हजार किमी रहती है ।

माइक्रो फ्लावर मून नाम दिया गया

सारिका ने बताया कि इसे माइक्रो फ्लावर मून का भी नाम दिया गया है क्‍योंकि पश्चिमी देशों में मई में कई जंगली फूल खिलते हैं , संभवत: रंग बिरंगे फूलों ने वहां के निवासियों ने चंद्रमा का यह नामकरण किया है । भारत में माह का नामकरण पूर्णिमा पर चंद्रमा के आसपास स्थित नक्षत्र के नाम पर किया जाता रहा है ,चूंकि पूर्णिमा पर चंद्रमा विशाखा नक्षत्र मे है तो इस महीने का नाम वैशाख तथा पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा नाम दिया गया है ।यह सूर्यास्‍त के बाद शाम पूर्व दिशा में उदित होता दिखेगा । रात भर आकाश में रहकर सुबह सबेरे पश्चिम दिशा में अस्‍त होगा ।

आईए जानते है क्‍या होता है Micro Moon

जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा एक अण्डाकार पथ पर करता है तो चंद्रमा की कक्षा में पृथ्वी के सबसे निकट स्थित बिंदु को पेरिगी कहा जाता है, जबकि पृथ्वी से सबसे दूर स्थित बिंदु को अपोजी कहा जाता है। जब पूर्णिमा अपोजी के आसपास होती है, तो उसे माइक्रोमून, मिनीमून या अपोजी मून कहा जाता है।

Micro Flower Moon: बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रमा रहेगा पृथ्‍वी से दूर, दिखेगा छोटा और कम चमकदार, जानें क्यों?


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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