सावन का महीना महादेव भक्तों के लिए उमंग और हर्षोल्लास से भरा होता है। इस महीने में चारों तरफ बाबा भोलेनाथ के जयकारों की गूंज सुनाई पड़ती है। लोग डीजे की धुन पर नाचते हुए कावड़ यात्रा में सम्मिलित होते हैं, मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है। पूरा शहर भक्ति में डूबा हुआ नजर आता है। भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की बहुत अधिक मात्रा में भीड़ उमड़ती है, इस महीने में भक्तगण बाबा के दर्शन के लिए उनके प्रमुख तीर्थ स्थान पर जाते हैं। इसके अलावा, देशभर के प्रसिद्ध मंदिरों में भी पहुंचते हैं।
इस महीने में इन मंदिरों के आसपास सुरक्षा के लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी जाती है, ताकि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न हो। इसके अलावा, लगातार ट्रैफिक एडवाइजरी जारी किए जाते हैं।
हर साल बढ़ता है ये मंदिर
इससे जाम की स्थिति न उत्पन्न हो, साथ ही कावड़ लेकर जा रहे यात्रियों को परेशानी न हो। वहीं, आम जनता भी आसानी से अपने गंतव्य तक पहुंच सके। इस खास महीने में शिवालयों में तरह-तरह के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, लोगों के बीच प्रसाद भी वितरित किया जाता है। आपने बहुत सारे शिव मंदिरों को एक्सप्लोर किया होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे महादेव के मंदिर के बारे में बताएंगे, जो कि हर साल बढ़ता चला जाता है।
श्री तिलबंदेश्वर महादेव मंदिर
जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने! दरअसल इस मंदिर का नाम श्री तिलबंदेश्वर महादेव मंदिर है, जो कि मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में स्थित है। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में स्थित शिवलिंग हर साल बढ़ता चला जाता है। इस मंदिर का रहस्य आज तक विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया है। यहां जल कभी भी नहीं सूखता है, जिस कारण आने वाले श्रद्धालु और भी ज्यादा भक्तिमय हो जाते हैं। सावन के महीने में यहां पर आस्था का मेला लगता है।
मान्यता
मान्यताओं के अनुसार, यहां पर जो भगवान शिव का शिवलिंग है, वह धरती से खुद प्रकट हुआ है… ऐसे में लोग इसे स्वयंभू मानते हैं। सावन के महीने में यहां पर बहुत अधिक भीड़भाड़ रहती है, जिससे रौनक का माहौल बना रहता है। मंदिर ऊपर से जितना ही छोटा दिखता है, अंदर से यह उतना ही गहरा है। दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को ऊपर नहीं, बल्कि सीढ़ियों से नीचे उतरकर धरती के अंदर जाना पड़ता है, यहां पहुंच कर आपको मानो ऐसा लगेगा कि आप किसी गुफा में आ गए हैं।
रहस्यों से भरा
यह मंदिर पूरी तरह से रहस्य से भरा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, मंदिर का शिवलिंग हर साल मकर संक्रांति के दिन तिल के दाने जितना ऊंचा हो जाता है। इसके अलावा, मंदिर की यह भी खास बात है कि यहां 24 घंटे जल रहता है। चाहे गर्मी का मौसम हो या फिर सर्दी का भीषण सूखा पड़ने पर भी यह नहीं सूखता है। फिलहाल, इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि यहां पर आखिर यह पानी कहां से आता है, यहां आपको न तो कोई पाइपलाइन देखने को मिलेगा और न ही कोई टंकी।
आप भी जाएं
यदि आपको कभी इस मंदिर में जाने का मौका मिले, तो आप अवश्य जाएं। वहीं, यदि आप सावन के महीने में यहां जाने की सोच रहे हैं, तो जरूर इस मंदिर को एक्सप्लोर करें। आज के दौर में जहां लोग साइंस को तवज्जो देते हैं। हालांकि, इस मंदिर में जाकर आपको ऐसा लगेगा कि कुछ चीजों में भगवान का चमत्कार भी होता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)





