मोहिनी एकादशी 2025: जानिए 7 या 8 मई में कौन-सी तारीख है सही, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खास उपाय

मोहिनी एकादशी 2025 की तारीख को लेकर लोगों में भ्रम है कि व्रत 7 मई को रखा जाए या 8 मई को। इस लेख में हम बताएंगे सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और वो विशेष उपाय जिनसे भगवान विष्णु की कृपा जल्दी प्राप्त होती है। इस दिन व्रत रखने से पाप कटते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।

सनातन धर्म एकादशी का ख़ास महत्व होता है। यह तिथि हर महीने में दो बार आती है और भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन अगर सच्चे मन से व्रत रखा जाए और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाए, तो जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है।

वैशाख मास में आने वाली मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2025) का धार्मिक और पौराणिक रूप से बहुत ख़ास स्थान है। इसे भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की याद में मनाया जाता है। इसी दिन भक्त व्रत रखते हैं पूजा करते हैं या विशेष उपाय करने की अपनी जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाने की कामना करते हैं। ऐसे में ज़रूरी है जानना कि इस बार मोहिनी एकादशी कब पड़ रही है, पूजा का शुभ मुहुर्त किया है, व्रत विधि क्या है और कौन कौन से उपाय करने चाहिए।

मोहिनी एकादशी 2025 की सही तारीख और मुहूर्त

7 मई या 8 मई? ये सवाल सोशल मीडिया से लेकर मंदिरों तक छाया हुआ है। पंचांग के मुताबिक, एकादशी तिथि की शुरुआत 7 मई 2025 कोसुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगी और इसका समापन 8 मई 2025 को 12 बजकर 29 मिनट पर होगा। इसलिए स्मार्त समुदाय (गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग) 8 मई को व्रत रखेंगे। वहीं, वैष्णव परंपरा के अनुसार भी व्रत 8 मई को मान्य है।

मोहिनी एकादशी की पूजा विधि

  • मोहिनी एकादशी व्रत की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनकर की जाती है। घर के मंदिर को साफ कर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो के सामने दीप जलाया जाता है।
  • इसके बाद तुलसी पत्र, पीले फूल, पीला वस्त्र, पीला फल और भगवान को प्रिय पकवान चढ़ाकर पूजा की जाती है।
  • इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और केवल फलाहार करते हैं। अगर कोई व्यक्ति उपवास नहीं कर सकता तो वो सात्विक भोजन लेकर भी पूजा कर सकता है, लेकिन व्रत का पूरा फल पाने के लिए जल उपवास या फलाहार उपवास करना श्रेष्ठ होता है।
  • पूरे दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “विष्णु सहस्रनाम” का पाठ करना लाभकारी माना गया है। रात को भगवान विष्णु की आरती और भजन के साथ व्रत का समापन किया जाता है।

भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के खास उपाय

  • मोहिनी एकादशी की शाम को तुलसी के पौधे के पास गाय के घी का दीपक जलाने से दरिद्रता दूर होती है।
  • इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है। खासकर पीले रंग के वस्त्र और मिठाइयां दान करने से भाग्य बलवान होता है।
  • मान्यता है कि केसर का भोग लगाने से विष्णुजी जल्दी प्रसन्न होते हैं और मनचाही इच्छा पूरी करते हैं।
  • सुबह स्नान में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर नहाने से शरीर शुद्ध होता है और मन शांत रहता है।
  • “ॐ विष्णवे नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

मोहिनी एकादशी का महत्व और पौराणिक कथा

मोहिनी एकादशी का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में मिलता है, जिसमें कहा गया है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सारे पापों से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है, चंद्रवती नामक नगर में धृतिमान नाम का व्यापारी रहता था जो पाप कर्मों में लिप्त था। एक दिन उसे मोहिनी एकादशी का उपवास करने की प्रेरणा मिली।

उसने इस दिन व्रत रखा और भगवान विष्णु का ध्यान किया। परिणामस्वरूप, उसकी सारी विपत्तियां दूर हुईं और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस एकादशी का नाम ‘मोहिनी’ इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाया था। तभी से ये एकादशी बहुत शुभ मानी जाती है और इसके व्रत से बड़ी-बड़ी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।

 


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Bhawna Choubey

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