सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है, जो कि हिंदू धर्म में बहुत ही विशेष महत्व रखती है। इस दिन नागों की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि उस दिन नाग देवता की पूजा करने से सर्प के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, घर में सुख और समृद्धि आती है। इस बार नाग पंचमी का त्योहार 29 जुलाई को मनाया जाएगा। उनके साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा-अर्चना की जाती है।
हालांकि, आज हम आपको उन प्रसिद्ध नागों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी आराधना पौराणिक काल में भी की जाती थी और वर्तमान में भी उन्हें पूजा जाता है।
वासुकी नाग
सबसे पहले बात करते हैं वासुकी नाग की, जो कि महादेव के गले में हार की तरह सुशोभित रहते हैं। जिन्हें नागों का राजा कहा जाता है। इस प्रजाति के नाग को महर्षि कश्यप और कद्रू की संतान माना जाता है। वासुकी नाग की पत्नी का नाम शतशीर्षा है। मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान रस्सी के रूप में वासुकी नागराज का ही प्रयोग किया गया था।
शेष नाग
अब शेष नाग की बात करते हैं, जिनकी माता का नाम कद्रू था। बता दें कि क्षीर सागर में भगवान विष्णु शेषनाग की सैया पर ही लेटे हैं। जिन्होंने त्रेता युग में लक्ष्मण और द्वापर युग में बलराम के रूप में अवतार लिया था। मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा ने शेषनाग को पृथ्वी को अपने फन पर धारण कर स्थिर करने को कहा था।
तक्षक नाग
अब बात करते हैं तक्षक नाग की, जो कि पाताल लोक में रहते हैं। जिनका संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, श्रृंगी ऋषि के श्राप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डंसा था। जिसके बदले परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने नाग वंश को खत्म करने के लिए यज्ञ किया। लेकिन आस्तिक ऋषि के कहने पर उन्होंने सर्प यज्ञ रोक दिया और इस तरह तक्षक नाग के प्राण बच गए। वह दिन सावन की तिथि थी।
तब से ही यह कहा जाता है कि आस्तिक मुनि ने नागों से यह वचन लिया कि जो भी नाग पंचमी पर उनकी पूजा करेगा, उसे सर्प डंस का भय नहीं होगा। इसलिए लोग इस दिन व्रत रखकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। इसमें ज़रा सी भी भूल-चूक होने पर उन्हें इसका बुरा परिणाम भी भुगतना पड़ सकता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





