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Sun, Dec 21, 2025

नागों के राजा तक्षक से है उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर का गहरा नाता, 365 दिन में एक बार खुलते हैं कपाट

Written by:Diksha Bhanupriy
Published:
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट साल भर में एक बार भक्तों के दर्शन के लिए खोले जाते हैं। अन्य दिन ये मंदिर नागराज तक्षक के एकांतवास की वजह से बंद रहता है।
नागों के राजा तक्षक से है उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर का गहरा नाता, 365 दिन में एक बार खुलते हैं कपाट

नाग पंचमी के त्यौहार का हिंदू धर्म में कितना महत्व है यह तो हम सभी जानते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में विशेष तौर पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है और नागदेवता की पूजन अर्चन की जाती है। उज्जैन में यह त्यौहार बहुत ही खास होता है क्योंकि इस दिन भक्तों को साल भर में एक बार खुलने वाले नागचन्द्रेश्वर महादेव मंदिर (Nagchandreshwar Mandir) के दर्शन करने को मिलते हैं।

इस साल 29 जुलाई को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाने वाला है। भक्तों के लिए सोमवार रात 12 बजे से मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इस मंदिर का इतना अधिक महत्व है की दर्शन करने के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। साल भर में एक बार होने वाले इस दुर्लभ दर्शन को देखने के लिए भक्त रातभर लाइन में लगकर इंतजार करते हैं। चलिए आज हम आपको नाग पंचमी की दर्शन व्यवस्था और इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताते हैं।

12 बजे खुलेंगे नागचंद्रेश्वर के द्वार (Nagchandreshwar Mandir)

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में तीसरे क्रम पर मौजूद नागचंद्रेश्वर के पट 28-29 जुलाई की मध्य रात्रि 12 बजे 24 घंटे के लिए खोले जाएंगे। एक दिन में तकरीबन 10 लाख श्रद्धालुओं के दर्शन करने की संभावना जताई जा रही है। मंदिर समिति द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए हैं और कहा जा रहा है कि हर श्रद्धालुओं को 40 मिनट में दर्शन हो जाएंगे।

बहुत दुर्लभ है प्रतिमा

महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है और विश्व का एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है। अपनी इस खासियत के अलावा यह दूसरे तल पर मौजूद ओंकारेश्वर और तीसरे तल पर मौजूद नागचंद्रेश्वर के लिए पहचाना जाता है। साल भर में एक बार जब मंदिर के कपाट खुलते हैं तो श्रद्धालुओं को एक बहुत ही अद्भुत प्रतिमा के दर्शन करने को मिलते हैं। नेपाल से लाई गई इस प्रतिमा में भगवान शंकर के साथ माता पार्वती, श्री गणेश, कार्तिकेय, नंदी, 7 फन के नागराज, सिंह और सूर्य-चंद्रमा बने हुए हैं। यहां भक्तों को एक साथ शिव परिवार के दर्शन करने को मिलते हैं। पूरी दुनिया में सिर्फ यही एक मंदिर है, जहां भोलेनाथ शेष शैय्या पर विराजित हैं, जो कि भगवान विष्णु की शैय्या है।

राजा भोज ने करवाया था निर्माण

तीसरे तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण परमार राजा भोज ने करवाया था। यह 11वीं शताब्दी की बात है जब इस अद्भुत मंदिर को निर्मित किया गया। 1732 में राणोजी सिंधिया ने इसका जीर्णोद्धार भी किया। यह मंदिर केवल धार्मिक लिहाज से ही नहीं बल्कि शिल्प कला के अनोखे उदाहरण के तौर पर भी पहचाना जाता है।

आखिर क्यों बंद रहता है मंदिर

महाकालेश्वर मंदिर तो एक ऐसा स्थान है जहां साल भर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। ऐसे में इस मंदिर के एक महत्वपूर्ण हिस्से का साल में केवल एक बार खुलना आश्चर्य का विषय भी है। स्थानीय लोगों के बीच तो कई सारी मान्यताएं प्रचलित है लेकिन अक्सर बाहर से आने वाले लोग सोच में पड़ जाते हैं कि ऐसा क्या है जो साल में एक बार मंदिर खोला जाता है। दरअसल, इसके पीछे पौराणिक मान्यता है। इस मंदिर के नाम से ही जाहिर है कि यह नागचंद्रेश्वर यानी नागों के देवता से जुड़ा मंदिर है। नागों का भगवान शिव से गहरा जुड़ाव धार्मिक ग्रंथो में भी देखने को मिला है।

Nagchandreshwar Mandir

इन ग्रंथो में सर्पों का राजा तक्षक को बताया गया है। वह भोलेनाथ के अनन्य भक्त थे और प्रभु को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने कठोर तप किया था। तप से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। इसी के बाद से नाग तक्षक ने भोलेनाथ के सानिध्य में रहना शुरू किया। वह महाकाल वन में वास किया करते थे लेकिन उनकी इच्छा थी कि उनके एकांत में किसी भी तरह की परेशानी उत्पन्न ना हो ताकि वह प्रभु की भक्ति अच्छी तरह से कर सकें। यही कारण है कि नागचंद्रेश्वर का यह मंदिर केवल एक दिन भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है। मान्यताओं के मुताबिक वह इस दिन अपने भक्तों को नागचंद्रेश्वर के रूप में दर्शन देते हैं। स्थानीय लोगों के बीच तो यह किंवदंती भी है कि इस दिन मंदिर में जिसे नाग देवता के दर्शन हो जाएं उसे जीवन के सारे कष्टों और पापों से मुक्ति मिल जाती है।