आज है नृसिंह जयंती 2025, जानिए क्यों लिया भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार

नृसिंह जयंती 2025 इस बार 11 मई को मनाई जा रही है। यह दिन भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नृसिंह भगवान, के प्राकट्य का प्रतीक है। इस दिन को मनाने के पीछे की पौराणिक कथा और पूजा विधि जानें, जिससे आप इस पर्व को सही तरीके से मना सकें।

हर साल वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नृसिंह जयंती (Narasimha Jayanti 2025) मनाई जाती है, जो इस बार 11 मई 2025 को आ रही है। यह दिन भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नृसिंह भगवान के प्राकट्य का प्रतीक है। आधे सिंह और आधे मानव के रूप में भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी और अधर्मी असुर हिरण्यकश्यप का वध करके धर्म की स्थापना की थी।

इस पर्व को मनाने का उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करना है, बल्कि यह संदेश देना भी है कि जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब-तब ईश्वर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर सत्य की रक्षा करते हैं। नृसिंह जयंती भक्ति, शक्ति और न्याय की जीत का पर्व है, जो हमें जीवन में साहस, विश्वास और श्रद्धा बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार क्यों लिया?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक एक असुर राजा था जिसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि उसे न कोई मानव मार सकता है, न कोई पशु; न दिन में, न रात में; न घर के भीतर, न बाहर; न धरती पर, न आकाश में; न किसी अस्त्र से, न शस्त्र से। इस वरदान के कारण वह अत्यंत अहंकारी हो गया और स्वयं को भगवान मानने लगा।

हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से रोकने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन असफल रहा। एक दिन, जब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से पूछा कि क्या उसका भगवान हर जगह है, और प्रह्लाद ने हाँ कहा, तो उसने एक स्तंभ की ओर इशारा करके पूछा कि क्या वह वहाँ भी है। जैसे ही हिरण्यकश्यप ने उस स्तंभ को तोड़ा, भगवान विष्णु नृसिंह रूप में प्रकट हुए और संध्या के समय, द्वार की चौखट पर, अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का वध किया, जिससे ब्रह्मा जी के वरदान का उल्लंघन भी नहीं हुआ।

पूजा विधि

  • सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • एक चौकी पर पीले या लाल कपड़े बिछाकर भगवान नृसिंह की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और कुमकुम, हल्दी, चंदन, पीले फूल, तुलसी दल, फल, गुड़-चना, मिठाई, धूप और दीप अर्पित करें।
  • ‘ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥’ मंत्र का जाप करें।
  • प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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Bhawna Choubey

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