हर व्यक्ति अपने जीवन में खूब धनवान बनना चाहता है। वो चाहता है कि उसे और उसके परिवार को सारी सुख सुविधा प्राप्त हो और वह खुशहाली के साथ अपना जीवन गुजारें। हालांकि, हर व्यक्ति को अपने जीवन में सारी सुख सुविधा और धन इतनी आसानी से प्राप्त नहीं होता। इसके लिए व्यक्ति को मेहनत भी करना पड़ती है और कुछ चीजों का ध्यान भी रखना पड़ता है। नीम करोली बाबा ने भी कुछ ऐसे ही चीजों का त्याग करने के बारे में बताया है, जो व्यक्ति को धनवान बना देती है।
नीम करोली बाबा एक महान संत थे। जिन्होंने लोगों को जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण ने सीख देने का काम किया। उन्होंने व्यक्ति को जीवन जीने का सही तरीका सिखाने का काम किया। चलिए आज बाबा की बताई उन चीजों के बारे में जान लेते हैं। जिन्हें त्यागने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और आर्थिक दोनों ही तरह की समृद्धि प्राप्त होती है।

कौन हैं नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba)
नीम करोली बाबा 20वीं सदी के प्रसिद्ध हिंदू संतों में से एक हैं। अब वह अपने भक्तों के बीच नहीं रहे लेकिन लोग आज भी उन्हें हनुमान जी के अवतार के रूप में मानते हैं। केवल देश ही नहीं बल्कि विदेश की कई बड़ी-बड़ी हस्तियां भी बाबा की भक्त हैं। सभी उनके आश्रम कैंची धाम में अध्यात्म से जुड़ने के लिए पहुंचते हैं। चलिए जान लेते हैं बाबा ने किन चीजों को त्यागने की बात कही है।
अहंकार बनाता है अंधा
बाबा कहते हैं कि जिस व्यक्ति में अहंकार होता है वह अंधा बन जाता है। जीवन में सही निर्णय नहीं ले पता और विनम्रता उससे दूर होती चली जाती है। अगर धनवान बनना है और लोगों के मन में जगह बनानी है तो अहंकार का त्याग बहुत जरूरी है।
लोभ छीन लेगा समृद्धि
जो व्यक्ति लोभ करता है यानी लालची होता है वह जीवन में कभी भी संपन्न नहीं बन पाता। लालच व्यक्ति के मन में कभी खत्म नहीं होता बल्कि समय के साथ बढ़ता चला जाता है। अगर उसे 10 रुपये मिलेंगे तो वह 100 रुपये की चाहत करने लगेगा और उसकी इच्छा धीरे-धीरे प्रबल होती चली जाती है। वह जितना है उतने में सुख भोगने की जगह और पाने की लालसा में समय व्यतीत कर देता है। लोभ को छोड़कर व्यक्ति को संतोष रखकर धन का उपयोग परोपकार की चीजों में करना चाहिए। ऐसा करने से समृद्धि अपने आप आकर्षित होती है।
क्रोध करेगा विनाश
क्रोध मनुष्य के विनाश की सबसे बड़ी वजह है। जब हम क्रोध करते हैं तो हमारी ऊर्जा का नाश होता है। जो हमें सकारात्मक विचारों से दूर कर असफलता की ओर ले जाती है इसलिए क्रोध को त्याग कर व्यक्ति को शांति के साथ रहना चाहिए। व्यक्ति जितने धैर्य के साथ रहेगा उसके जीवन में सुख समृद्धि उतनी ही बढ़ जाएगी।
संशय का त्याग
अगर व्यक्ति के मन में किसी बात का संशय है, तो वह सफलता हासिल नहीं कर सकता। अगर उसे खुद पर विश्वास नहीं है या फिर वह ईश्वर पर विश्वास नहीं रखता है तो उसका मनोबल कमजोर होने लगता है। वहीं अगर व्यक्ति संशय त्याग दे खुद पर विश्वास रखें और ईश्वर पर आस्था रखकर आगे बढ़ता रहे तो खुशहाली अपने आप ही उसके जीवन में आ जाती है।
ईर्ष्या रोकेगी विकास
ईर्ष्या एक ऐसा भाव है, जो किसी भी व्यक्ति के मन में बहुत जल्दी पनप जाता है। कभी-कभी हम किसी दूसरे की सफलता को देखकर उसे चलने लगते हैं। यह ईर्ष्या हमारे अंदर नकारात्मक ऊर्जा का संचार करने लगती है। जो व्यक्ति ईर्ष्या को त्याग देता है वह अपने आसपास सकारात्मक वातावरण बना लेता है। उसे अपने विकास पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिलता है और सफलता खुद-ब-खुद उसके पास चलकर आती है।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।