निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन लेकिन सबसे पुण्यदायक व्रत माना जाता है। इस दिन जल तक ग्रहण नहीं किया जाता, ताकि पूरे साल की एकादशियों का पुण्य एक साथ मिल सके। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस व्रत में बाल धोने जैसी एक छोटी-सी गलती भी आपके पुण्य में कमी ला सकती है?
हर साल निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) पर लोगों के मन में यही सवाल उठता है, क्या बाल धोना सही है या अशुभ? कुछ मान्यताएं कहती हैं कि इससे व्रत की शुद्धता पर असर पड़ता है, वहीं कुछ लोग इसे साफ-सफाई का हिस्सा मानते हैं। तो आखिर सच क्या है? इस लेख में जानिए धार्मिक मान्यता, पौराणिक कारण और इसका आपकी किस्मत पर क्या असर पड़ सकता है।
क्या कहती है मान्यता? बाल धोना शुभ है या अशुभ?
निर्जला एकादशी पर व्रत करने वाले लोगों के मन में यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या इस दिन बाल धोना सही है? धर्म ग्रंथों और पुरानी परंपराओं के अनुसार, एकादशी के दिन बाल धोना वर्जित नहीं है, लेकिन इसे लेकर दो स्थितियां ज़रूर मानी गई हैं।
अगर आप व्रत नहीं रख रहे हैं, तो बाल धोने में कोई दोष नहीं है। लेकिन अगर आप निर्जला व्रत कर रहे हैं, जहां जल तक ग्रहण नहीं किया जाता, तो स्नान सीमित और साधारण तरीके से करने की सलाह दी जाती है। बाल धोने में ज्यादा पानी और प्रयास लगता है, जिससे व्रती की ऊर्जा खर्च होती है, जो उपवास के नियमों के खिलाफ माना जाता है।
धन और पुण्य का क्या है संबंध?
निर्जला एकादशी का सीधा संबंध धर्म, संयम और आत्मशुद्धि से है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन अगर कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा और नियम से उपवास करता है, तो उसे हजार एकादशियों के बराबर पुण्य मिलता है।
ऐसे में अगर किसी छोटी-सी गलती से व्रत भंग हो जाए, जैसे पूरे सिर पर पानी डालकर बाल धोना या देर तक बाथ लेना, तो इसका असर पुण्य पर पड़ सकता है। यही वजह है कि संत और जानकार सलाह देते हैं कि इस दिन साधारण स्नान करें और जितना हो सके कम जल का उपयोग करें। बाल धोना ज़रूरी हो, तो सूर्योदय से पहले स्नान कर लें।
एकादशी व्रत की सही विधि क्या है? जानिए नियम और सावधानियां
- व्रत के एक दिन पहले सात्विक भोजन करें
- व्रत वाले दिन सूरज उगने से पहले उठकर स्नान करें
- पूरे दिन व्रती को बिना पानी के रहना होता है
- दिनभर भगवान विष्णु की पूजा और मंत्र जाप करें
- अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण (व्रत खोलना) करें
क्या कहता है आज का युवा और विशेषज्ञ?
आज की भागदौड़ वाली ज़िंदगी में कई लोग नियमों का पालन पूरी तरह नहीं कर पाते। कई युवा कहते हैं कि उनके लिए बिना नहाए और बाल धोए ऑफिस जाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि धर्म को लचीलापन देना चाहिए—यदि नीयत और श्रद्धा सही हो, तो छोटी चीज़ें माफ़ हो सकती हैं।
हालांकि, अगर आप व्रत के महत्व और परंपरा को पूरी श्रद्धा से निभाना चाहते हैं, तो प्रयास करें कि आप नियमों का पालन करें और दिनभर शांति व संयम बनाए रखें।





