सनातन धर्म में एकादशी महत्वपूर्ण व्रत में से एक है, जिसे रखने से जातक के जीवन की सारी समस्याएं खत्म हो जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कुछ लोग पूरे दिन पीले वस्त्र धारण करके रखते हैं, जो कि बहुत ही शुभ माना जाता है। साल भर में 24 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं, लेकिन अधिक मांस होने पर इसकी संख्या 26 हो जाती है। इसी कड़ी में अप्रैल के महीने में 24 तारीख को वरुथिनी एकादशी मनाई जाएगी।
एकादशी का व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष को रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसके साथ ही भक्तों के पापों का अंत भी होता है। मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, 23 अप्रैल को शाम 4:43 पर वरुथिनी एकादशी की शुरुआत होगी। जिसका समापन 24 अप्रैल को दोपहर 2:32 पर होगा। ऐसे में 24 अप्रैल को एकादशी का व्रत रखा जाएगा। वहीं, 25 अप्रैल को सुबह 5:46 से लेकर सुबह 8:30 तक पारण किया जाएगा।
यहां जलाएं दीपक
- ज्योतिष शास्त्र में बताए गए नियम के अनुसार, इस दिन तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना चाहिए, जिससे जीवन में साबकारात्मकता आती है। सारी बुरी शक्तियों का अंत हो जाता है, क्योंकि मां तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है, इसलिए एकादशी में तुलसी का पत्ता भोग के तौर पर अवश्य चढ़ाएं।
- ज्योति शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार, एकादशी के दिन घर की मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाना चाहिए। जिससे घर से सारी नेगेटिविटी दूर होती है। साथ ही देवी-देवताओं का घर में आगमन होता है। इसके अलावा, मां लक्ष्मी की कृपा भी सदैव बनी रहती है। जीवन में चल रही परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
- पूजा घर में एकादशी के दिन अवश्य ही घी का दीपक जलाना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु के सामने ऐसा करने से उनकी विशेष कृपा भक्त और उसके परिवार को मिलती है। इसके साथ ही घर में सदैव सुख और शांति का माहौल बना रहता है।
- ज्योतिष शास्त्रों में रसोई घर को भी बड़ा महत्वपूर्ण माना गया है, जहां अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा का वास होता है। ऐसे में एकादशी के दिन रसोई घर में दीपक जलाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इससे कभी भी खानपान की कोई कमी नहीं होती।
- इसके अलावा, आप एकादशी के दिन केले के पेड़ के नीचे दीपक जला सकते हैं, जिससे भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद मिलेगा और घर की सारी दरिद्रता भी दूर होगी।
पौराणिक कथा
इस व्रत को लेकर पौराणिक कथा भी प्रचलित है। जिसके अनुसार, एक बार मान्धाता नाम के राजा के पर को एक जंगली भालू ने काट लिया था, जिससे राजा बेहद डर गया। इस स्थिति में उसने भगवान विष्णु को याद किया और जीवन की रक्षा के लिए उनसे प्रार्थना की। तब प्रभु ने उसकी प्रार्थना सुनी और प्रसन्न होकर राजा से कहा कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करो, जिससे तुम्हारे शरीर की सारी पीड़ा दूर हो जाएगी। तब राजा ने विधिवत पूर्वक इस व्रत को किया। जिसके फलस्वरुप राजा सुंदर शरीर वाला हो गया। तभी से वरुथिनी एकादशी की शुरुआत हुई। उस दिन से लोग इस व्रत को अवश्य रखते हैं, ताकि जीवन की सारी समस्याएं खत्म हो सके।
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