हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। देश भर में 12 ज्योतिर्लिंग है। इन सभी का अलग-अलग महत्व, पौराणिक कथाएं और खासियत है। यहां सालों भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सावन शिवरात्रि सोमवारी के मौके पर श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। यह सभी मंदिर परिसर इतने बड़े होते हैं की सुरक्षा के लिए हाथ से पुलिस बल तैनात किए जाते हैं, ताकि किसी प्रकार की कोई अनहोनी ना हो। भगदड़ ना हो, इसके लिए लाइन में भगवान के दर्शन कराए जाते हैं। मंदिर परिसर में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाते हैं, कंट्रोल रूम द्वारा लगातार नजर रखी जाती है।
वहीं, आज हम आपको 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक कपालेश्वर धाम के बारे में बताएंगे, जो की एकमात्र शिव मंदिर है जहां बाबा भोलेनाथ के वाहन नंदी स्थापित नहीं है।
महाराष्ट्र में स्थित
दरअसल, मंदिर महाराष्ट्र के नासिक में स्थित है, जो की कपालेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, पर यहां पर शिवलिंग के सामने नंदी महाराज विराजमान नहीं है। अमूमन आपने देखा होगा कि भगवान शिव के मंदिर में नंदी महाराज अवश्य विराजित रहते हैं। लोग शिवलिंग की पूजा करने के बाद नदी भगवान की भी पूजा करते हैं, लेकिन इस मंदिर में ऐसा कुछ भी नहीं होता।
पौराणिक कथा
गोदावरी नदी के किनारे राम कुंड क्षेत्र में स्थित इस मंदिर की पौराणिक कथा भी काफी अनोखी है, जिसके अनुसार ब्रह्मा जी के पांच मुख थे, जिनमें से चार मुखो से वह वेदों का पाठ किया करते थे, लेकिन पांचवां मुख सदैव निंदा करता था, जिसे भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने निंदा करने वाले मुख को काट दिया। ऐसे में उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लगा। इसके बाद भगवान शिव ब्रह्मांड में जगह-जगह मुक्ति पाने की तलाश में घूमते रहे, लेकिन उन्हें कहीं भी मुक्ति नहीं मिली।
भगवान शिव को बैल ने दिखाया मार्ग
थक-हार कर वह सोमेश्वर पहुंचे, जहां उनके पास एक बैल आया, जिसने उन्हें राम कुंड में स्नान करने की सलाह दी। साथ ही भगवान शिव को राह दिखाए। ऐसी मान्यता है कि जिस बल ने भगवान शिव को राह दिखाई थी वह नंदी बैल थे। इसके बाद भगवान शिव ने राम कुंड में स्नान किया, जिससे उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई। इस घटना के बाद भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने नंदी को अपना वाहन और गुरु दोनों ही मान लिया।
मंदिर को लेकर पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र पाया जाता है कि नंदी को गुरु मानने के कारण भगवान शिव ने उन्हें अपने सामने बैठने से मना कर दिया था। यही कारण है कि कपालेश्वर मंदिर में नंदी महाराज विराजमान नहीं है।
आप भी जाएं
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां आने वाले सभी भक्तों की मुरादे पूरी होती है। यहां जाकर आपको आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ मानसिक शांति भी मिलेगी। यदि आपको कभी यहां जाने का मौका मिले तो जरूर जाए। यहां राम कुंड में स्नान करना भी बहुत ही ज्यादा पवित्र माना जाता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





