ओरछा के रामराजा : यहां इनके फैसले ही होते हैं स्वीकार, चारों पहर दी जाती है सलामी

ओरछा| मयंक दुबे। अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। हर कोई कयास लगा रहा है की कोर्ट का फैसला किसके पक्ष में आएगा इन सब के बीच हम आपको बुन्देलखण्ड की अयोध्या कही जाने वाले ओरछा लेकर चलते जहाँ अयोध्या से आए रामलला ने ओरछा पहुँचकर रामराजा के रूप में अपनी सत्ता स्थापित की | अयोध्या के राम ओरछा आने के बाद एक ऐसे राम रहे जिनकी खुद की सत्ता है खुद की सरकार वही यहां के राजा है और सभी फैसले भी वही लेते है। राम के दरबार में कोई विशिष्ट नही केवल उन्हें छोड़कर क्योकि चारो पहर केवल उन्हें ही सलामी दी जाती है देश के किसी भी विशिष्ट या अतिविशिष्ट व्यक्ति को नही ।

राम रहीम हिन्दू मुस्लिम इन सब से परे ओरछा के राम इनके दरबार में हिन्दू भी अपना सर झुकाता है तो मुस्लिम भी सजदा करता है, न कोई विवाद है न किसी फैसले का इंतजार| ओरछा के राम को यहां की रानी कुंवारी गणेश  संवत 1631 चेत्र शुक्ल नवमी पर लाई थी, अयोध्या से ओरछा पौराणिक इतिहास के अनुसार ओरछा की रानी कुँवरि गणेश रामभक्त थी और राजा कृष्ण भक्त राजा रानी में अपने अपने आराध्य के प्रति सच्ची निष्ठा के बीच उपजे विवाद के बाद रानी सात दिनों तक अयोध्या के शरयु नदी के तट पर कठोर तप के बाद भी जब रामजी को न पा सकी तो खुद को आत्मसात कर रही थी ऐसे में भगवान बाल्य रूप में उनकी गोद मे आये और कहा गया “बैठे जिनकी गोद मे मोद मान विश्वेश कौशल्या सानी भई रानी कुँवरि गणेश” भगवान राम अयोध्या से आये भी तो अपनी कुछ शर्तों के हिसाब से जिसमे प्रमुख यह थी कि वह ओरछा के राजा के रूप जाएंगे यानी अब राम यहाँ भगवान नही राजा है| राम सर्वव्यापक है भविष्य के गर्त में क्या छुपा है भला उनसे बेहतर कौन जान सकता है, शायद  इसलिए उन्होंने अयोध्या के अलावा ओरछा में अपनी सत्ता स्वीकारी जिसमे राम रहीम सब एक हो।


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