पहलगाम में है वो पवित्र मंदिर जहां भगवान शिव ने काटा था गणेश जी का सिर, जानिए इतिहास

पहलगाम के ममलेश्वर मंदिर से जुड़ी है एक बेहद अनोखी कथा। कहा जाता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश का सिर काटा था। इस मंदिर का इतिहास ना सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा के नजरिए से भी बेहद खास है। चलिए जानते हैं इस मंदिर की अनकही कहानी और इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

हिमालय की ख़ूबसूरत वादियों में बसा पहलगाम हाल ही में बड़े आतंकी हमले का गवाह बना। आतंकियों ने इस फ़ॉर्म को लोकप्रिय पर्यटन स्थल को दहला दिया, जिससे कई निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। इस घटना के बाद पहलगाम की गलियों में सन्नाटा ही बाज़ारों में रौनक ग़ायब हैं वो लोग अब यहाँ का रुख़ करने से डरने लगे हैं। सुरक्षा बलों ने पूरे इलाक़े में सख़्त पहरा बिठा दिया है, लेकिन फिर भी डर का माहौल बना हुआ है।

जहाँ एक तरफ़ पहलगाम दहशत का दर्द झेल रहा है, वहीं दूसरी और यहाँ का धार्मिक महत्व भी लोगों को खींचता रहा है। लिद्दर नदी के किनारे, समुद्र तल से लगभग 2200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर (Pahalgam Famous Temple) श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर की क्या मान्यता है आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे।

पहलगाम का ममलेश्वर मंदिर

कश्मीर की वादियों में बसा पहलगाम सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए ही नहीं, बल्कि ममलेश्वर मंदिर के पौराणिक इतिहास के लिए भी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यहीं पर भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काटा था। यह मंदिर आज भी उस घटना की याद को संजोए हुए है। श्रद्धालुओं के लिए यह जगह एक खास आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र बन गई है।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

कहानी के अनुसार, माता पार्वती स्नान कर रही थीं और उन्होंने गणेश जी को द्वारपाल बनाकर बिठाया था। इसी दौरान भगवान शिव लौटे और गणेश जी ने उन्हें रोका। इस पर शिवजी क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में माता पार्वती के कहने पर शिवजी ने हाथी का सिर लगाकर गणेश जी को पुनर्जीवित किया। ऐसा कहा जाता है कि यह पूरी घटना पहलगाम के ममलेश्वर मंदिर परिसर में घटी थी।

ममलेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व

ममलेश्वर मंदिर ना सिर्फ गणेश जी की कथा से जुड़ा है, बल्कि यह शिवभक्तों के लिए भी अत्यंत पवित्र स्थल है। यहां पर स्थापित शिवलिंग प्राचीन समय का माना जाता है, जो अब भी अपनी ऊर्जा से भक्तों को आकर्षित करता है। मंदिर परिसर में बहती लिद्दर नदी इसकी सुंदरता और शांति को और बढ़ा देती है।

यहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, खासकर सावन के महीने और महाशिवरात्रि पर। कहा जाता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से पूजा करने पर मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। स्थानीय लोग भी इस स्थान को शक्ति और आस्था का प्रतीक मानते हैं।

पहलगाम के अन्य धार्मिक और पर्यटन स्थल

पहलगाम सिर्फ ममलेश्वर मंदिर तक सीमित नहीं है। यहां स्थित अर्बल झरना, बेताब वैली और चंदनवाड़ी भी लोगों को आकर्षित करते हैं। खासकर अमरनाथ यात्रा के दौरान, पहलगाम श्रद्धालुओं का महत्वपूर्ण पड़ाव बन जाता है। ममलेश्वर मंदिर का दर्शन कर लोग अपनी यात्रा को और भी पवित्र मानते हैं।

यहां का प्राकृतिक सौंदर्य, ठंडी हवाएं और चारों ओर फैली हरियाली इसे एक परफेक्ट स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन बनाती है। अगर आप भी कभी पहलगाम जाएं तो ममलेश्वर मंदिर जाकर इस पवित्र ऊर्जा को जरूर महसूस करें।

 


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Bhawna Choubey

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