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Sat, Dec 20, 2025

पापमोचनी एकादशी 2025: ये 2 काम करने से मिलेगी धन-समृद्धि, आर्थिक तंगी होगी दूर, पढ़ें पूरी जानकारी

Written by:Bhawna Choubey
Published:
पापमोचनी एकादशी 2025 आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति का मार्ग बताई जाती है। अगर आप आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं, तो इस एकादशी पर कुछ खास उपाय अपनाकर धन लाभ पा सकते हैं।
पापमोचनी एकादशी 2025: ये 2 काम करने से मिलेगी धन-समृद्धि, आर्थिक तंगी होगी दूर, पढ़ें पूरी जानकारी

Papmochani Ekadashi 2025: हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र मानी जाती है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन को भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए ख़ास माना जाता है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। इससे दिन व्रत रखा जाता है, जो व्यक्ति के पापों को मिटाकर उसे मोक्ष की ओर ले जाता है

वैदिक पंचांग के अनुसार, पापमोचनी एकादशी की तिथि 25 मार्च को सुबह 5 बजकर 5 मिनट से शुरू होगी और 26 मार्च को देर रात 3 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। हिन्दू धर्म में हर त्योहार और व्रत उदयातिथि के अनुसार ही मनाया जाता है, इसलिए पापमोचनी एकादशी का व्रत भी 25 मार्च को रखा जाएगा।

पापमोचनी एकादशी व्रत कैसे रखें?(Papmochani Ekadashi 2025)

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने व्रत रखने का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फूल, फल, तुलसी दल और धूप दीप से पूजा करें।
  • माता लक्ष्मी की किसी भी एक मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
  • भगवान विष्णु को फल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं।
  • इस दिन गरीबों और ज़रूरतमंद लोगों को अनाज, वस्त्र या धन का दान करना भी अच्छा माना जाता है।

पापमोचनी एकादशी पर हमें क्या करना चाहिए?

अगर आप अपने जीवन में सुख शांति और समृद्धि चाहते हैं, तो पापमोचनी एकादशी के दिन माँ लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना न भूलें। मान्यता है कि इन मंत्रों का जाप करने से धन लाभ के योग बनते हैं और माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥