भगवान परशुराम हिन्दू धर्म की उन आठ चिरंजीवी में से हैं जिनका उल्लेख रामायण से लेकर महाभारत तक मिलता है। उन्हें न्याय और धर्म की रक्षा करने वाला अवतार माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, परशुराम जी का जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि परशुराम जी का अवतरण धरती पर अधर्म को ख़त्म करने के लिए हुआ था।
परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti 2025) के मौक़े पर भक्त विधिपूर्वक उनकी पूजा करते हैं। इस दिन विशेष रूप से परशुराम जी की आरती और स्तुति का पाठ करना बेहद फलदायी माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन श्रद्धालु पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। अगर आप भी परशुराम जयंती पर भगवान परशुराम का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो सही विधि से उनकी आर्थिक और स्तुति ज़रूर करें।

परशुराम जयंती 2025 क्यों है इतनी खास?
परशुराम जयंती हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि भगवान परशुराम का जन्म इसी दिन हुआ था। वे विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं और धरती पर धर्म की रक्षा के लिए आए थे। 2025 में परशुराम जयंती का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इस साल कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन श्रद्धा से परशुराम जी की पूजा करने, आरती गाने और स्तुति पढ़ने से जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
परशुराम जयंती पर क्यों जरूरी है आरती और स्तुति करना?
परशुराम जी के भक्तों का मानना है कि बिना आरती और स्तुति के पूजा अधूरी मानी जाती है। आरती गाते समय सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्त का मन भगवान के प्रति जुड़ाव महसूस करता है। परशुराम जी की स्तुति में उनके गुणों का वर्णन किया जाता है, जो आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाने में मदद करता है। 2025 में, खासतौर पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर, स्वच्छ कपड़े पहनकर परशुराम जी की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएं और पूरे श्रद्धा भाव से आरती करें। साथ ही, ‘जय जय परशुराम प्रभु’ जैसे भजन भी गाना शुभ रहेगा। इससे मनोकामनाएं जल्दी पूरी होने का विश्वास है।
परशुराम जयंती 2025 पर पूजा की सही विधि और शुभ मुहूर्त
परशुराम जयंती पर पूजा करते समय सही विधि का पालन करना जरूरी है ताकि पूजा का पूरा फल मिल सके। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान परशुराम की प्रतिमा या चित्र पर फूल, चंदन, अक्षत और धूप-दीप से पूजा करें। पूजा के दौरान ‘ॐ परशुरामाय नमः’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना बेहद शुभ माना जाता है। 2025 में परशुराम जयंती का शुभ मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक रहेगा। इस समय के बीच पूजा करने से विशेष लाभ मिलेगा। साथ ही दान-पुण्य भी करना न भूलें, जैसे गरीबों को भोजन कराना या जरूरतमंदों को वस्त्र दान करना बहुत पुण्यदायक होता है।
परशुराम जयंती पर कौन-कौन से काम करने से मिलेगा विशेष फल?
परशुराम जयंती पर कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में तरक्की और खुशहाली आती है। इस दिन नए काम की शुरुआत करना, जैसे घर बनवाना, भूमि पूजन या शिक्षा से जुड़े कार्य शुरू करना बेहद शुभ माना जाता है। अगर आप लंबे समय से किसी मुसीबत में फंसे हैं या किसी कानूनी विवाद का सामना कर रहे हैं, तो इस दिन परशुराम जी से न्याय की प्रार्थना करें। साथ ही, अपने शत्रुओं के प्रभाव से बचने के लिए परशुराम स्तुति का पाठ करें। बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए माता-पिता इस दिन व्रत रखकर भगवान परशुराम से आशीर्वाद मांग सकते हैं। यह दिन आपके जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता भर सकता है।