Puja Path Niyam: हिन्दू धर्म में शंख का बेहद ही खास महत्व होता है। मंगल और शुभ कार्यों में इसका उपयोग किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शंख देवताओं और दैत्यों द्वारा किए गए अमृत मंथन के दौरान प्रकट हुआ था। मान्यताएं हैं इसमें भगवान विष्णु का वास होता है। घर में शंख रखना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर-परिवार में खुशहाली और सुख-समृद्धि बनी रहती है। हालांकि घर में शंख रखते समय कुछ नियमों का पालन करना अति आवश्यक होता है। इन नियमों का उल्लेख्य शास्त्रों में भी किया गया है।
कहाँ और कैसे रखें शंख?
शंख को हमेशा ईश्वर के निकट यानि मंदिर या पूजा स्थल पर रखना चाहिए हैं। शंख को लाल या पीले रंग के वस्त्र के ऊपर रखना चाहिए। धूल-मिट्टी से बचाने के लिए इसे हमेशा सफेद कपड़े से ढककर रखना चाहिए। शंख को कभी भी जमीन पर रखने की गलती न करें। शंख का मुंह हमेशा ऊपर की ओर होना चाहिए। शंख को हमेशा माँ लक्ष्मी, भगवान विष्णु या लड्डू गोपाल की मूर्ति के दाहिने ओर रखना चाहिए।
ऐसे करें शंख की पूजा
यदि आप घर में शंख रख रहे हैं तो नियमित तौर पर इसकी पूजा करें। एक पात्र में दूध, गंगाजल इत्यादि डालकर शंख को स्नान करवाएं। साफ कपड़े से पोंछकर दूध और केसर के घोल से श्री एकाक्षरी मंत्र लिखें। फिर तांबे या चांदी के बर्तन में इसे स्थापित करें। सफेद फूल अर्पित करें। रोली और अक्षत चढ़ाएं। घी का दीपक और धूप जलाएं।
घर में रखें दो शंख
मान्यताएं हैं कि घर में दो शंख रखना चाहिए। एक शंख का इस्तेमाक पूजा-पाठ के लिए करना चाहिए और दूसरे शंख को बजाना चाहिए। पूजा में दक्षिणा वर्ती शंख का उपयोग करना चाहिए। जिस शंख की पूजा करते हैं उसका इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहिए। इसे रात भर पानी भरकर रखें और सुबह पूरे घर में पानी का छिड़काव करें।
पूजा के बाद जरूर करें ये काम
पूजा में शंख को बजाने के बाद इसे शुद्ध करना जरूरी होता है। एक पात्र में पानी और गंगाजल को मिलाकर शंख को इसमें डुबो दें। इसे निकालकर साफ कपड़े से पोंछे और सुखाकर मंदिर में रखें।
कब नहीं बजाना चाहिए शंख?
भगवान शिव की पूजा के दौरान शंख को बजाना शुभ नहीं माना जाता। बिना मतलब भी शंख को नहीं बजाना चाहिए। आप पूजा के पहले या बाद में शंख को बजाने का प्रयास कर सकते हैं।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो ग्रंथों, मान्यताओं और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)