Faith Hindu : हिंदू धर्म में महाभारत महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण की लीला और पांडवों की कहानी रची गई है। जैसा कि हम सभी जानते हैं महाभारत युद्ध भाइयों के बीच गद्दी को लेकर हुआ था, जिसमें कौरवों की हार हुई थी और पांडवों की जीत हुई थी। यह अधर्म पर धर्म की लड़ाई थी, असत्य पर सत्य की लड़ाई थी। इसलिए यह अब तक का सबसे बड़ा युद्ध माना गया है। बता दें कि यह युद्ध कुल 18 दिनों तक चला था, जिसमें दोनों ही तरफ से लाखों सैनिक मारे गए थे। इस दौरान भीष्म पितामह, आचार्य द्रोण, दानवीर कर्ण, अभिमन्यु, आदि जैसे वीर योद्धा मारे गए थे। वहीं, जीत के बाद पांडवों ने राज-पाठ संभाला था।
स्वर्ग लोक जाने का रास्ता
अक्सर आपने बड़े-बुजुर्गों से इस बात का जिक्र करते हुए सुना होगा कि पांडव उत्तराखंड के रास्ते स्वर्ग लोक को गए थे। बता दें कि करीब 36 साल राज करने के बाद परीक्षित को राज्य पाठ सोंपते हुए द्रोपती के साथ पांचों भाई स्वर्ग लोक के लिए निकल गए थे। इस दौरान स्वर्गरोहिणी पहुंचे। यहां से एक सीढ़ी पर चढ़कर वह स्वर्ग चले गए थे जो कि आज उत्तराखंड में स्थित है।
उत्तराखंड में छुपा है यह रहस्य
महाभारत ग्रंथ में इन सीढ़ियों का वर्णन पाया गया है। यहां पर धर्मराज युधिष्ठिर को लेने के लिए स्वयं इंद्रदेव का विमान आया था जो कि इन दोनों चमोली जिले में स्थित है। स्वर्ग लोक जाने के मार्ग में माणा गांव, वसुधारा, लक्ष्मीवन, सहस्त्रधारा, चक्रतीर्थ, आदि गांवों को पर करना पड़ा था। इसके साथ ही सतोपंत झील पार करते हुए पांचों पांडव स्वर्ग चले गए थे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह वही रास्ता है जहां पर सहदेव, नकुल, अर्जुन और भीम की समाधि के कुछ हिस्से भी मिलते हैं। जिसका वर्णन महाभारत में भी किया गया है। जिसे देखने पूरी विश्व भर के लोग यहां पहुंचते हैं।
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