Phulera Dooj 2025 : हिंदू धर्म में सालों भर कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है। जिनमें फुलेरा दूज, भाई दूज, रक्षाबंधन, होली, दिवाली, छठ पूजा, दुर्गा पूजा, नवरात्रि, अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्थी, सहित अन्य कई पर्व शामिल है। जब लोग श्रद्धा पूर्वक जीवन में सुख और समृद्धि पाने के लिए संबंधित देवी और देवता की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही अपने परिवार की उन्नति के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाई जाती है, जो कि भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी को समर्पित है।
मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 1 मार्च को रात 03:16 से शुरू होगी, जिसका समापन अगले दिन यानी 2 मार्च को रात 12:09 पर होगा। उदय तिथि के अनुसार, 1 मार्च को देशभर में फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाएगा।
प्रेम का प्रतीक
इस दिन भक्तगण श्री कृष्ण और राधा की पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है की विधि-विधान पूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करने से जीवन में सफलता के द्वार खुलते हैं। इस दिन मंदिरों में श्री कृष्ण और राधा रानी की प्रेम लीलाएं रची जाती है, जिससे प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन श्री कृष्ण ने राधा जी के साथ फूलों की होली खेली थी। इसलिए इसे फुलेरा दूज कहा जाता है। मथुरा और वृंदावन में इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। मंदिरों में खास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पूरी नगरी को फूलों से सजाया जाता है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय ऐसा आ गया था। जब भगवान श्री कृष्ण राधा रानी से बिछड़ गए थे और काफी दिनों तक उनसे मिल नहीं पाए थे, जिससे वह नाराज हो गई थी। जिस कारण राधा रानी काफी उदास हो गई थी। मथुरा के फूल मुरझा गए थे। जैसे ही इस बात का अनुमान गिरधर को हुआ, वह स्वयं उनसे मिलने जा पहुंचे। इसके बाद मथुरा में चारों ओर हरियाली छा गई। फिर दोनों ने मिलकर फूलों की होली खेली और चारों ओर खुशहाली छा गई। इसके बाद से ही फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाने लगा।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)





