पितृ दोष से परेशान? सिर्फ सोमवार को करें ये काम, तुरंत मिलेगा चमत्कारी लाभ

अगर पितृ दोष आपकी किस्मत में रुकावट बना हुआ है, तो इस सोमवार का मौका हाथ से न जाने दें, बस एक आसान उपाय अपनाएं और खुद देखें चमत्कारी बदलाव। पितरों की कृपा मिलेगी, बाधाएं दूर होंगी और सौभाग्य आपका साथ देगा।

Bhawna Choubey
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सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन सभी लोग विधि-विधान से ही भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और कामना करते हैं। इतना ही नहीं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय भी करते हैं। लेकिन ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ज़्यादा कुछ करने की आवश्यकता नहीं होती है, भगवान शिव मात्र एक लोटा जल से ही बेहद प्रसन्न हो जाते हैं।

ऐसा भी कहा जाता है कि जिस भी व्यक्ति के ऊपर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है, उसके जीवन की सभी दुख समाप्त हो जाता है। इतना ही नहीं कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रहों का भी नाश होता है। वैसे तो हर दिन भगवान शिव की पूजा करना अच्छा माना जाता है लेकिन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा अधिक फल देती है।

पितृ दोष को खत्म करने के लिए क्या करें? (Pitra Dosh)

कई लोगों के जीवन में तमाम प्रकार की परेशानियां रहती है। जैसे की बार-बार असफल होना, उन्नति न हो पाना , एग्ज़ाम में पास न हो पाना, बार बार तबियत ख़राब हो जाना, ऐसे में व्यक्ति समझ ही नहीं पाता है कि आख़िर ये सब कुछ क्यों हो रहा है? इसके पीछे क्या कारण है? अगर आपके साथ भी ये सारी समस्याएं हो रही है तो हो सकता है कि यह पितृदोष के कारण हो रहा हो। ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना गया है कि भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प और पितृदोष का प्रभाव ख़त्म हो जाता है, ऐसे में सोमवार के दिन पितृदोष को ख़त्म करने के लिए कि पितृ स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। ऐसा करने से भक्तों पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।

पितृ कवच

कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।

तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥

तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।

तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥

प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।

यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥

उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।

यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥

ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।

अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

गंगा स्तोत्र

ॐ नमः शिवायै गंगायै, शिवदायै नमो नमः।

नमस्ते विष्णु-रुपिण्यै, ब्रह्म-मूर्त्यै नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते रुद्र-रुपिण्यै, शांकर्यै ते नमो नमः।

सर्व-देव-स्वरुपिण्यै, नमो भेषज-मूर्त्तये।।

सर्वस्य सर्व-व्याधीनां, भिषक्-श्रेष्ठ्यै नमोऽस्तु ते।

स्थास्नु-जंगम-सम्भूत-विष-हन्त्र्यै नमोऽस्तु ते।।

संसार-विष-नाशिन्यै, जीवानायै नमोऽस्तु ते।

ताप-त्रितय-संहन्त्र्यै, प्राणश्यै ते नमो नमः।।

शन्ति-सन्तान-कारिण्यै, नमस्ते शुद्ध-मूर्त्तये।

सर्व-संशुद्धि-कारिण्यै, नमः पापारि-मूर्त्तये।।

भुक्ति-मुक्ति-प्रदायिन्यै, भद्रदायै नमो नमः।

भोगोपभोग-दायिन्यै, भोग-वत्यै नमोऽस्तु ते।।

मन्दाकिन्यै नमस्तेऽस्तु, स्वर्गदायै नमो नमः।

नमस्त्रैलोक्य-भूषायै, त्रि-पथायै नमो नमः।।

नमस्त्रि-शुक्ल-संस्थायै, क्षमा-वत्यै नमो नमः।

त्रि-हुताशन-संस्थायै, तेजो-वत्यै नमो नमः।।

नन्दायै लिंग-धारिण्यै, सुधा-धारात्मने नमः।

नमस्ते विश्व-मुख्यायै, रेवत्यै ते नमो नमः।।

बृहत्यै ते नमस्तेऽस्तु, लोक-धात्र्यै नमोऽस्तु ते।

नमस्ते विश्व-मित्रायै, नन्दिन्यै ते नमो नमः।।

पृथ्व्यै शिवामृतायै च, सु-वृषायै नमो नमः।

परापर-शताढ्यै, तारायै ते नमो नमः।।

पाश-जाल-निकृन्तिन्यै, अभिन्नायै नमोऽस्तु ते।

शान्तायै च वरिष्ठायै, वरदायै नमो नमः।।

उग्रायै सुख-जग्ध्यै च, सञ्जीविन्यै नमोऽस्तु ते।

ब्रह्मिष्ठायै-ब्रह्मदायै, दुरितघ्न्यै नमो नमः।।

प्रणतार्ति-प्रभञजिन्यै, जग्मात्रे नमोऽस्तु ते।

सर्वापत्-प्रति-पक्षायै, मंगलायै नमो नमः।।

शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे।

सर्वस्यार्ति-हरे देवि! नारायणि ! नमोऽस्तु ते।।

निर्लेपायै दुर्ग-हन्त्र्यै, सक्षायै ते नमो नमः।

परापर-परायै च, गंगे निर्वाण-दायिनि।।

गंगे ममाऽग्रतो भूया, गंगे मे तिष्ठ पृष्ठतः।

गंगे मे पार्श्वयोरेधि, गंगे त्वय्यस्तु मे स्थितिः।।

आदौ त्वमन्ते मध्ये च, सर्व त्वं गांगते शिवे!

त्वमेव मूल-प्रकृतिस्त्वं पुमान् पर एव हि।।

गंगे त्वं परमात्मा च, शिवस्तुभ्यं नमः शिवे।।

फल-श्रुति

य इदं पठते स्तोत्रं, श्रृणुयाच्छ्रद्धयाऽपि यः।

दशधा मुच्यते पापैः, काय-वाक्-चित्त-सम्भवैः।।

रोगस्थो रोगतो मुच्येद्, विपद्भ्यश्च विपद्-युतः।

मुच्यते बन्धनाद् बद्धो, भीतो भीतेः प्रमुच्यते।।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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