Pitra Dosh Upay : पितृ दोष, जिसे पितृ ऋण भी कहा जाता है ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण दोष माना जाता है। यह दोष मुख्य रूप से उन लोगों के कुंडली में पाया जाता है, जिनके पूर्वजों ने अपने जीवन में कुछ अधूरे कार्य छोड़े होते हैं या जिनकी आत्मा असंतुष्ट होती है। पितृ दोष के कारण जीवन में कई तरह की समस्याएं और परेशानियां आ सकती हैं। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए कई उपाय और टोटके हैं, जिन्हें आप विधिपूर्वक अपनाकर अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
ऐसे करें तर्पण
- अमावस्या तिथि: अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करें। इस दिन पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने के बाद पितरों को जल अर्पित करें।
- दान: श्रद्धा अनुसार अन्न, धन, वस्त्र आदि का दान करें। यह पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
- पीपल की पूजा: हर रोज दोपहर में पीपल के पेड़ की पूजा करें। जल में काले तिल, दूध और अक्षत मिलाकर पीपल के पेड़ पर अर्पित करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी और परिवार के सदस्यों को पूर्वजों की कृपा प्राप्त होगी।
- दक्षिण दिशा में जल अर्पण: रोजाना स्नान करने के बाद सच्चे मन से दक्षिण दिशा में मुख करके जल में काले तिल मिलाकर पितरों को अर्पित करें। यह उपाय पितृ दोष को शांत करने में मदद करता है।
- महादेव का अभिषेक: जल में काले तिल मिलाकर विधिपूर्वक भगवान शिव का अभिषेक करें। अभिषेक के बाद खीर, फल आदि का भोग लगाएं। इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की परेशानियां दूर होती हैं।
- श्राद्ध कर्म: पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म और पिंड दान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पितरों को संतुष्ट करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति आती है।
- सेवा और भोजन: संतों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उनकी सेवा करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि आती है।
ऐसे लगता है पितृ दोष
- पेड़ को काटना
- सांप को मारना
- पितरों का श्राद्ध न करना
- विधिपूर्वक अंतिम संस्कार न करना
करें ये उपाय
- पितृ तर्पण और श्राद्ध
- दान-पुण्य
- गायत्री मंत्र का जाप
- पितृ दोष निवारण पूजा
- पवित्र स्थानों की यात्रा
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)